यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्।।
अर्थात जिसने समस्त चराचर जगत् को बनाये रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं।
मुझे अपने हिंदु होने पर गर्व होता है। लेकिन कुछ घटनायें ऐसी घटती हैं जो न सिर्फ मुझे विचलित करती हैं बल्कि मेरा सिर नीचे झुका देती हैं। किसी के डर से नहीं, शर्म से। अब तक आप समझ चुके होंगे मेरा इशारा किस तरफ है जो नहीं समझे उनके लिए पूरी घटना लिख रहा हूँ।
राजस्थान में मेवात की नूह तहसील के रहने वाले पहलू खान घर से भैंस खरीदने निकले थे। जब जयपुर मेले में पहुंचे तो भैंस पसंद की नहीं मिली। वो किसान थे और दूध के लिए जानवर पालते थे। दूध वाली भैंस इसलिए खरीदना चाहते थे ताकि रमज़ान में दूध का उत्पादन बढ़ा लें। क्योंकि उस वक़्त दूध की काफी डिमांड रहती है। लेकिन जब एक गाय बेचने वाले ने उनके सामने ही 12 लीटर दूध निकालकर दिखाया तो उन्हें वो सौदा मुनाफे का लगा। और भैंस खरीदने का इरादा बदलकर गाय खरीद ली। जिसकी कीमत उन्हें अपनी जिंदगी से चुकानी पड़ी।
पहलू खान के 24 साल के बेटे इरशाद का कहना है, ‘पापा का फैसला उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।’ इरशाद और उनके भाई आरिफ भी अपने पिता के साथ उस वक़्त मौजूद थे, जब उन पर हमला हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आरिफ ने बताया, ‘मेरे पिता राजस्थान नंबर प्लेट वाले पिकअप ट्रक में गांव के ही अज़मत के साथ थे। ट्रक में दो गाय और दो बछड़े थे। मैं और मेरा भाई दूसरे गांव वालों के साथ दूसरे ट्रक में थे।’आरिफ कहते हैं कि गौरक्षकों ने उन्हें ट्रक से खींचा और घसीटने लगे। डंडों और बेल्ट से पीटा गया। करीब 20-30 मिनट बाद पुलिस आई। तब तक उनके पिता बेहोश हो चुके थे। इरशाद कहते हैं कि उन्होंने गायों को खरीदने की स्लिप दिखाई, जिसमें जयपुर नगर निगम की मुहर लगी था। जो स्लिप 1 अप्रैल 2017 को उन्हें दी गई उसका सीरियल नंबर 89942 था। जिसे शक हो तहकीकात कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘पता नहीं FIR में ऐसा क्यों दर्ज किया गया कि हमारे पास खरीद की स्लिप नहीं थी। जबकि गायें 45 हज़ार की खरीदी थीं।’
अब जरा सोचिये किसने उन्हें हक़ दिया कि वो किसी के साथ माररपीट कर के उनकी जान ले लें, वजह चाहे जो भी हो। गौरक्षकों के हमले में मारे गए पहलू खान के एक साथी ने कहा है कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो भीड़ उन्हें आग के हवाले कर देती। वहीं दूसरी तरफ पहलू खान के पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को गौरक्षकों में धमकी दी है कि अगर उन्होंने रिपोर्ट नहीं बदली तो उनकी हत्या कर दी जाएगी।
मेरा सीधा सवाल इन तथाकथित गौरक्षकों से है कि वो कहाँ होते हैं जब गोशालाओं में तड़प-तड़प कर गायों की जान चली जाती है। वो कहाँ होते हैं जब बहराईच के एक गौशाला में गौ रक्षा के नाम पर उनकी हत्या कर शवों को दफना दिया जाता है, दो एक नहीं पूरे 45 गायों को छापा मार कर छूड़ाया जाता है। ये करतूत तो मिश्रा जी की थी। कितनी लाठियँ पड़ी उनको?
सच तो ये है कुछ लोग गौ सेवा के नाम पर क्रूरता कर रहे हैं। पाप कर रहे हैं। प्रायश्चित करने के बदले आप अपने गुनाहों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं? सनातन धर्म के नाम पर कलंक हैं आपलोग। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हिन्दु धर्म के ठेकेदार बिना किसी ठोस सबूत के मुझसे बहस करने की गुस्ताखी न करें। जो अपने विवेक की रक्षा न कर सके वो गौ की रक्षा क्या करेगा? लोगों की हत्या छोड़कर गौ की रक्षा और गौ की सेवा कीजिए। पता नहीं हत्यारे रक्षक कैसे हो सकते हैं?
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