थक कर मतलबी दुनियाँ से जब भी दूर होता हूँ,
माँ की गोद में ही तो बस चैन की नींद सोता हूँ।।
मैं अभागा दिल्ली में माँ मिले न गोद मिले,
स्वार्थ भरी आँखों में देखो, क्रोध मिले बस क्रोध मिले।।
माँ बापू तेरा बच्चा हूँ, कब मुझको वो संयोग मिले,
आपके साये में मुझको रहने का कोई योग मिले।।
खून-पसीने से पापा ने हमको अब तक सींचा था,
फीस की खातिर माँ ने अपना खानदानी जेवर बेचा था।।
आँखों में था लाज बहुत पर मैं किस्मत का मारा था,
खुद पर ही था भरोसा बस, नहीं किसी का सहारा था।
ममता की उस मुरत पर क्या कुछ नहीं जो बीती थी,
सामने मेरे मुस्का कर, वो चुपके-चुपके रोती थी।
बह चले मझदार में जब माँ ने मुझको थाम लिया,
पापा ने मुझे गले लगाया, समस्याओं का समाधान किया।।
आपका आशीर्वाद मिला तो दुनियाँ का भी प्यार मिला,
लोग तरसते जिस धन को वो दौलत बेशुमार मिला।।
ख्वाहिस मेरी अंतिम ये उनको खुशियाँ लाख हजार दूँ,
एक-एक सपने माँ-बाबा के उनके रहते साकार करुँ।।
निश्चय मेरे अडिग अटल हों मृत्यु सा वो डिगे नहीं,
उनमें कभी न जल आये अब वोआँखें कभी भीगे नहीं।।
TO BE CONTINUE...
BY-RAJAN KUMAR JHA
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