चाहत भरी अपनी आँखों से
उसने देखा मैंने देखा।
एक दूजे की जज्बातो को
उसने समझा हमने जाना।
शुरू हुई फिर प्रेम कहानी
हो गयी मेरी, मेरी दीवानी।
जान कर भी अंजान रहे
दुनियां की रीत रिवाजों से।
डरे कभी न अपनों से
डरे न कभी परायों से।
जात पात सब धर्म कर्म सब
उसने देखा न हमने जाना।
अपनों ने जब इस प्यार को जाना,
बुनने लगे फिर ताना बाना।
उनको खींचा हमको खींचा,
प्यार हमारा समझे नीचा।
प्यार हमारा समझे नीचा।
छूट गए फिर हाथ हमारे,
मुरझाने लगे वो फूल बिचारे।
जिसे अभी तक बड़े जतन से
उसने सींचा हमने सींचा।
है आश यही विश्वास यही...
काश अभी वो आकर कह दे ,
काश अभी वो आकर कह दे ,
सुन पगले, मैं भी जीती तू भी जीता.....
- Rajan Kumar Jha
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