वैलेंटाइन डे बित चुका है और अब मेरे इस लेख से
किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। न तो वैलेटाइन डे मनाने वालों को और न ही उसे न
मनाने वालों को। किसी भी दिन को मनाना न मनाना ये लोगों की अपनी रुचि पर निर्भर
करता है। कई सालों से सोशल मीडिया पर वैलेंटाइन डे का विरोध देखने को मिल रहा है।
इस साल भी वैलेंटाइन डे के आते हीं तमाम देश भक्त अपनी देश भक्ति दिखाने के लिए
सोशल मीडिया से लेकर पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर देखे जा सकते हैं। देश भक्ति
होनी चाहिए, और पश्चिमी सभ्यता का विरोध भी होना चाहिए लेकिन सही तर्कों और सही
मनसूबों के साथ। वैलेंटाइन डे ही नही फिर आप अपने घरों में सबसे पहले हैपी बर्थ डे
मनाना बंद किजिए, केक- काटना बंद किजिए। पतलून और जीन्स छोड़िये, धोती पहनिये। अभी
गुस्से को काबू में रखिये आपके सारे बातों का जवाब है हमारे पास। आप कहेंगे आज के
दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद करने का दिन है। मैं कहुंगा हर दिन उन्हें
याद करने का दिन है। आप कहेंगे आज के दिन उन्हें फांसी दी गई थी मैं कहुंगा 23
मार्च को उन्हें फांसी दी गई थी। अब आप कहेंगे, 14 फरवरी को उन्हें फांसी की सजा
सुनाई गई थी। मैं कहुंगा नहीं, 7 अक्टूबर
1930 को उन्हें सजा दी गई थी। गूगल की मदद से विश्वसनीय साइट्स पर पहुंचेंगे तो
पता चलेगा कि भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को लाहौर षड़यंत्र मामले में ट्रिब्यूनल
कोर्ट ने 7 अक्तूबर 1930 को फांसी की तथा उनके 12 साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई
थी।
अधुरे ज्ञान के बल पर हमारे
इतिहास को क्षति पहुंचाने वाले मौसमी देशभक्तों अपने ज्ञान का वर्धन कीजिए समाज
में भ्रम मत फैलाईये। भगत सिंह, सुखदेव और
राजगुरु भारत मां के महान सपूत थे। हमारे देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र करवाने के
लिए हंसते-हंसते सूली पर चढ़ गए। उनके बलिदान के साथ झूठ जोड़कर उनका अपमान न करें।
विरोध करनेवाले विरोध करें। लेकिन यह भी ध्यान
रखें कि विरोध का प्रकटीकरण उसे करनेवाले व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, संस्कृति
आदि का वैचारिक स्वरूप तय करता है, दूसरों
की नज़र में। लोकतंत्र है तो अपनी बात रखनी ही चाहिए कि वैलंटाइंस डे हमारे लिए
मायने रखना चाहिए या नहीं। लेकिन इस तरह का झूठ स्वीकार्य नहीं हो सकता। इससे बचिए, इसे जानबूझकर शेयर कर रहे लोग वैचारिक रूप से कमज़ोर
हैं। वैलेंटाइन डे का विरोध करने वाले कम से कम देश के शूरवीरों से जुड़े
तथ्यों को लेकर युवाओं को गुमराह न करें। ये इतने संवेदनशील मुद्दे हैं कि इनसे
हजारों लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।
अब आपको बताते हैं कि 14
फरवरी और हमारे इन शहीदों के बीच संबंध क्या है? क्योंकि
यह जानना जरुरी है.. असल में भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव की जिंदगी में 14 फरवरी
का महत्व बस इतना है कि प्रिविसी काउंसिल द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद
कांग्रेस के तत्कालीक अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के
समक्ष दया याचिका दाखिल की थी। जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।
हम इस ब्लॉग के जरिये सोशल
मीडिया पर चल रहे झूठ को आपके सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं। अंत में हम इतना ही कहेंगे, कि चलिए जो लोग शहीदों को 23 मार्च को भी याद नहीं करते, वे 14 फ़रवरी (वैलंटाइंस डे) को याद कर लेते हैं। मौसमी देशभक्तों
जय हिंद, आशिकों और मेहबूबाओं हैपी वैलेंन्टाइन्स डे।
Nice post bhiya
जवाब देंहटाएंthank you verymuch ANKIT ji...
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