बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

कैसी अँधेरी रात है?

कैसी अँधेरी रात है?....
कुछ अनकहे से दिल के ये जज़्बात हैं..
अनसुने से प्यार के ख़यालात हैं..
कुछ पता चलता नहीं
वो छूट गयी के साथ हैं..
किसको पूछे ,
हम बुरे हैं या बुरे हालात हैं?
दिल कहे रोले अभी,
आँखों में भी सुखी हुई बरसात है..दुश्मनो की विसात क्या, रक्त से सना हुआ अपनों का हीं हाथ है।
लहू में है रूचि किसकी?
अभिलासाओं की करमात है।
एक छोटे नाज़ुक से दिल पर
दर्द की खैरात है।
कैसी अँधेरी रात है-2
--(राजन कुमार झा)

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सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...