सोमवार, 6 मार्च 2017

दिल्ली को दिल्ली ही रहने दो...




            मुबारक हो हमारी दिल्ली अब लंदन बनने वाली है। दिल्ली कुछ भी बनने से पहले उजड़ जाती है, मैं नही कह रहा इतिहास कहता है, गूगल कीजिए सब मिल जायेगा। दिल्ली अभी तक 7 बार उजड़ कर बस चुकी है। दिल्ली ही दुनिया की इकलौती शहर है जो इतनी बार उजड़ कर भी अस्तीत्व में है। मज़ाक से परे सोचिए क्योंकि इसबार सचमूच मामला सीरिया से भी अधिक सीरियस है, दिल्ली को लंदन बनाने की बात बिना कसम खाये कही गई है। 

   खैर, आप भले ही दिल्ली को क्राइम कैपिटल, रेप कैपिटल, कैपिटल ऑफ पॉल्युशन कह लें... मुझे दिल्ली से इश्क है। मुझे इस शहर से प्यार है। मैं यहां का जन्मा नही हूं, न ही ज्यादा समय से यहां रह रहा हूं, बावजूद इसके दिल्ली मुझे उस हसीना की तरह खूबसुरत लगती है जिसके हजारों चाहने वाले होते हैं और वो किसी की नही होती। वजह यही है कि दिल्ली ने मुझे पनाह दी है। दिल्ली मुझे पाल रही है और दिल्ली ही मुझे पहचान दे रही है। अब भी दिल्ली से इश्क न हुआ तो बिना मेहबुबा के ही बेवफा कहलाउंगा। लेकिन मुझे दिल्ली से इश़्क है मैं इसका मेहबुब न सही ये मेरी महबूबा तो है। अपनी मेहबुबा के उजड़ने की भनक से तिलमिलाये आशिक की तरह ये पोस्ट लिख रहा हूं। विनती कर रहा हूं कि दिल्ली को दिल्ली ही रहने दीजिए इसे कुछ और मत बनाइये। 

    बात अगर बिकास की है तो क्या दिल्ली को दिल्ली बनाये रखकर ही बिकास नही हो सकता? उसके लिए क्या लंदन की तरह होना जरुरी है? क्या लंदन ही एकमात्र रोल मॉडल है बिकास का? आपकी नज़रों में पता नही मेरी नजरों में लंदन बिकास का नही पतन का प्रतिक है। लंदन उस गैस की गुब्बारे की तरह है जो उंचाई की सीमित पराकाष्ठा पर अटक गया है और उपर नही जा पा रहा, जब तक गैस सक्रीय है वो उस पराकाष्ठा पर कायम रहेगा जैसे-जैसे वो गैस निष्क्रिय होगा लंदन नाम का ये गुब्बारा नीचे होता जायेगा। एक दौर था जब लंदन उस ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी था जहां  कभी सूर्यास्त नहीं होता था। फिर दूसरे विश्व युद्ध में शहर को भारी नुक़सान हुआ। ब्रिटेन की दुनिया की सियासत में हैसियत घट गई। ब्रिटेन की हैसियत घटी तो लंदन की अहमियत भी कम हो गई।

   मैं दिल्ली से लंदन की तुलना नही कर रहा और न ही करना है। बस मेरा कहना यह है कि दिल्ली, दिल्ली है उसे कुछ और बनने की या किसी और की तरह बनाने की कोई जरुरत नही है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...