मंगलवार, 30 जुलाई 2019

चलो किस्मत ही को बदलते हैं...

जिंदगी की राहों में
 लोग मिलते जुलते हैं
बार बार मिलने से
फूल प्यार के खिलते हैं.
संग संग जीने की
कसमें उठाई जाती है..
दुनियां की परवाह किये बिन
हर रस्में निभाई जाती है..
अच्छा हो या वक्त बुरा हो,
साथ-साथ चलते हैं..
साथ-साथ चलने  में
लड़ना झगड़ना होता है..
छोटी-2 लड़ाईयों में और कुछ नहीं होते
दिल में झांककर देखो मोहब्बते हीं होती हैं..
मोहब्बतों के सफर में भी
ऐसे मोड़ आते हैं..
न चाह कर भी अक्सर
साथ छूट जाते हैं...
लबों पर हंसी तो होती है,
आँखें भीग जाती हैं..
भीगी हुई आंखों में भी
ख़्वाब सजते जाते हैं..
कुछ ख़्वाब पूरे होते हैं
कुछ टूट भी जाते हैं...
टूटते ख़वाबों के साथ
वक्त गुजरता जाता है...
वक्त जो बुरा हो तो
शहर बहुत सताता है...
शहर मतलबी है माना मैंने,
दोस्त भी कहां ठहरते हैं
जब भी दिल का दर्द कहूं
सब अपना दुखड़ा रोते हैं..
मेरे पास ठहरता कोई नहीं,
मेरे पास से लाख गुजरते हैं..
जीती बाज़ी हारते हैं
तकदीर से फिर भी लड़ते हैं..
किस्मत साथ नहीं तो क्या ?
चलो किस्मत ही को बदलते हैं...

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...