टीवी स्क्रीन पर चलाई जा रही बड़ी-बड़ी ब्रेकिंग उन्हें अच्छी टीआरपी देगी इसमें कोई संशय नहीं है क्योंकि इस देश के लोग ऐसी घटनाओं में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं. लेकिन टीवी पर टीआरपी के लिए चलाई जा रही ब्रेकिंग तीर के समान एक पिता के हृदय को भी छलनी कर रही होगी इसपर किसी ने ध्यान देना जरुरी नहीं समझा. उस पिता के वेदना को समझने की कोशिश किसी चैनल वाले ने नहीं की. सभी हाथ धोकर पिता को हिंदी फिल्मों के विलन समझ बैठे. जबकि पिता बार बार कह रहा है कि बेटी के जाने के बाद उसने बेटी से कोई संपर्क करने की कोशिश ही नहीं की.
अगर किसी को जान का खतरा है तो वे पहले अपने पास के पुलिस थाने जायेंगे न कि सैकड़ों किलोमीटर दूर नोएडा के फिल्मसिटी से प्रसारित होने लगेंगे. आश्चर्य है जान का खतरा बताने वाले इस नव दंपति के मामले को पुलिस ने वीडियो सामने आने के बाद संज्ञान में लिया क्योंकि उसके पहले किसी तरह की शिकायत ही दर्ज नहीं करायी गई थी. न ही सुरक्षा की मांग की गई थी.
बेटी ने टीवी चैनल पर कहा कि उसे भाई की तरह छूट नहीं दी गई, वास्तविकता यह है कि वो जयपुर अकेली रहकर पढ़ाई कर रही थीं.
टीवी साक्षात्कार में साक्षी ने स्वीकार किया कि उनके पिता अक्सर मम्मी से कहा करते थे कि वह किसी के साथ चली जायेगी. यहीं साक्षी ने गलती से अपने व्यक्तितव का परिचय दिया था. अर्थात साक्षी के लक्षण शुरु से ही ठीक नहीं जान पड़ते थे.
दुनियां में शायद ही कोई ऐसे मां-बाप होंगे जो अपनी औलाद को ज़ख्म देना चाहेंगे. लेकिन दुनियां में न जाने ऐसी कितनी औलादें हैं जो अपने मां-बाप का सीना दर्द से छलनी कर देते हैं और उफ तक नहीं करते. जैसे की आज साक्षी ने किया है.
हमारे देश में बेटों को नहीं बेटियों को पूजा जाता है क्योंकि जो इज्जत, श्रद्धा प्यार एक बेटी दे सकती है एक बेटा कभी नहीं दे सकता.लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि जो शर्मिंदगी और जलालत एक बेटी दे सकती है,वह भी एक बेटा कभी नहीं दे सकता. जन्म से लेकर युवास्था तक प्यार लुटाने वाले मां-बाप को छोड़कर कोई लड़की पलभर के प्यार के पिछे पागल होकर अपने ही मां-बाप की दुश्मन बन जाये तो उसे एहसान फरामोश कहते हैं. इसकी सज़ा उन्हें वक्त दे देता है.गूगल कर के देख लीजिए प्रेम विवाह के 80 प्रतीशत से ज्यादा मामलों में रिश्ता नहीं टिक पाया.
बात प्रेम विवाह करने की नहीं और जाति के बाहर शादी करने की तो बिल्कुल नहीं है. बात है अपने माँ बाप का आशीर्वाद लिए बिना शादी करने की और ऊपर से वीडियो बनाकर उनकी जगहंसाई करवाने की.
मैं ऐसे दो-तीन केस जानता हूँ जहां घरवालों से अन्तरजातीय विवाह की अनुमति ना मिलने पर प्रेमी युगल 40 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहे. पर घरवालों के ख़िलाफ़ जाकर, भाग कर शादी नहीं की. आखिरकाऱ घरवालों को उनका स्वार्थ व वासना से रहित प्रेम समझ आया और उनकी शादी सबकी रजामंदी से करवा दी गई.
साक्षी से सहमति रखने वाले लोगों और साक्षी मुझे क्षमा करें.. साक्षी का प्रेम प्रेम ना होकर ड्रामा लग रहा है. ना ही इस प्रेम में सब्र नज़र आता है ना ही शुद्धता. यह सम्मोहन तो 6 महीने में टूट जाएगा, लेकिन एक बाप अंदर से सदा के लिए टूट चुका होगा....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें