जिस समय लोग अपने आप को निरोग बनाने के लिए योग कर रहे थे उस समय एयAरफोर्स के AN-32 विमान दुर्घटना में मारे गए 13 शहीदों को राजनाथ सिंह श्रद्धांजलि दे रहे थे. विमान 3 जून को 12.25 मिनट पर असम के जोरहाट से मेंचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ा था लेकिन एक बजे इसका संपर्क टूट गया था. उसके बाद से विमान का कोई पता नहीं चल पाया था. इस विमान में पायलट सहित कुल 13 लोग सवार थे. इनमें से सभी की मृत्यु हो गई. हादसा इतना भयानक था कि 13 में से 6 लोगों के शव क्षत विक्षत मिले और बाकि के 7 लोगों के सिर्फ अवशेष ही मिल सके.
सोचिये 13 जवानों की मौत एक साथ एक दुर्घटना में हो जाती है और सरकार से इस पर सवाल नहीं पूछे जा रहे. मीडिया ने जरुर AN-32 के गायब होने से लेकर अब तक मिली जानकारियों को साझा किया है. लेकिन मैं हैरान हूं इस घटना पर लगातार बहस नहीं कराये जा रहे सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा रहा शायद इसलिए क्योंकि यह एक दुर्घटना थी. जवान किसी आतंकी हमले में नहीं एक क्रैश में मारे गए इसलिए?
परंतु देश यह कैसे मान ले कि जवानों की मौत क्रैश में हुई है. क्या देश के लोग यह नहीं जानना चाहेंगे कि क्रैश क्यों हुई? क्या ब्लैक बॉक्स से मिली जानकारियों को सावर्जनिक नहीं किया जाना चाहिए?
अरुणाचल के सिंयांग के 12 हज़ार फ़ीट पहाड़ियों पर इसका मलबा दिखा था जहां से चीन की सीमा काफी नज़दीक है, हो सकता है कि चीन ने हमारे विमान को मार गिराया हो?
अब इस विमान की बात करते हैं. यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए कभी शुभ नहीं रहा.इससे पहले भी AN-32 विमान हादसे का शिकार हुए हैं. एक हादसा तो अरब सागर के ऊपर हुआ था जब यह विमान पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. इसके बाद साल 2009 में अरुणाचल में ही यह विमान हादसे का शिकार हुआ उस समय भी विमान में सवार 13 लोग मारे गए थे.जुलाई 2016 में भी एक अन्य एएन-32 विमान तब लापता हो गया था जब वह चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जा रहा था. इस विमान में 29 लोग सवार थे.
इसके बावजूद क्या हमें इस विमान के रिप्लेसमेंट के बारे में नहीं सोचना चाहिए? क्या अब भी इसे दुर्घटना मानें या हत्या?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें