छोड़िये तकरार चाहत की कुछ बात कीजिये,
आइये चांदनी रातों में मुलाकात कीजिये।
पतली है कमर आपकी लचक जायेगी,
तलवार उठाने की न बात कीजिये।
जो कल को जाना ही है छोड़ कर हमको..
तो इंतेजार कैसा ? ये काम हाथो हाथ कीजिये।
दिल के टूटने से अगर मिलती है शोहरत,
तो रोज़ एक नयी हसीना से मुलाकात कीजिये।
मिलना जो मुकर्रर हो जुम्मे को,
शराब जी भर कर जुम्मेरात पीजिये।
टूटे हुए दिल से निकले जो लफ्ज़,
लिखिए, गुनगुनाइए, उन्ही को अपनी कायनात कीजिये।।
- Rajan kumar jha
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क्या बात...बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद....
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