उनके साथ बीते जो लम्हे बड़ा सुहाना लगे
कुछ वक़्त ले लूँ उन लम्हों से मगर उन्हे बुरा न लगे।
उनको भूलना हो तो भूल जाएं हमें
उन्हे भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे।
उन्हे भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे।
जो जल ही रहे इश्क़ में तो चींखे भी सुनो
दुनियां को मेरी तड़प भी कोई फसाना लगे।
दुनियां को मेरी तड़प भी कोई फसाना लगे।
जब भी बयान करुं दर्द ए जिंदगी
गम ए मौसिक़ी का नया तराना लगे।
हमने अपनाया तुमने ठुकराया,
करीब आने का न कोई अब बहाना लगे।
अबकी इस तरह मुझसे बेहयायी कर,
तेरी बेवफाई भी मुझे कोई नज़राना लगे।।
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by Rajan kumar jha
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