सोमवार, 20 मार्च 2017

मैं बस तेरा रहूं और तू बस मेरी हो


तेरी बातों में ज़िक्र मेरा हो,
मेरी बातो में ज़िक्र तेरा हो।
गजब सा हमारा इश्क हो,
मैं बस तेरा रहूं और तू बस मेरी हो।

नाम तेरा ही याद आये,अकेलेपन ने जब घेरा हो।
तू पास मेरे ही बैठी रहे..जब तक न सवेरा हो।
न गम, न दर्द, न  आंसू कोई,
जिंदगी खुशियों की ढेरी हो।
मैं बस तेरा रहूं और तू बस मेरी हो।।

शिकवे गिले से  दूर, उस गांव में बसेरा हो,
दिये टीमटीमाएं प्यार के, जब भी अंधेरा हो।
मेरी आंखों की रौशनी तू, तेरी नयनों का मैं नूर..
तेरे मेरे दर्मियां यूं दिल की हेरा-फेरी हो।
मैं बस तेरा रहूं और तू बस मेरी हो।।   

जनम-जनम तक निभता जाय ऐसा रिश्ता हमारा हो,
चेहरा मेरा खिल जाये जब भी जिक्र तुम्हारा हो।
 छूई-मूई सी शर्माओ मेरी छूअन की आहट से...
मोर सा नाचूं पागल बनकर बरसो बादल घनेरी हो,
मैं बस तेरा रहूं और तू बस मेरी हो।।


- राजन कुमार झा..

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सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...