रविवार, 27 अगस्त 2017

तो क्या 2024 से लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव साथ होंगे...

तो क्या 2024 से लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव साथ होंगे...
दरअसल नीति आयोग के थिंक टैंक ने चुनाव आयोग को लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का परामर्श दिया है। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी  लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराये जाने की वकालत कर चुके है। 'थ्री ईयर्स एक्शन एजेंडा, 2017-18 से 2019-20' में नीति आयोग का कहना है कि दोनों चुनाव एक साथ कराने का काम 2024 के चुनावों से किया जा सकता है। 
लेकिन इसका व्यापक असर राज्यों पर पड़ेगा।  कुछ राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल छोटा और कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल का विस्तार करना पड़ सकता है। नीति आयोग का ये भी कहना है कि इसे लागू करने की योजना तैयार करने के लिए एक ऐसे समूह का गठन किया जाए जिसमें संविधान और इस विषय से जुड़े विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी, सरकारी अधिकारी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हों। क्योंकि इस कार्य के लिए संविधान और कानूनी संशोधनों का मसौदा तैयार करने और व्यवहारिक रूपरेखा पर सहमति की आवश्यकता होगी। नीति आयोग ने इसके लिए चुनाव आयोग को नोडल एजेंसी बनाने का सुझाव दिया है और इसके लिए मार्च-2018 की समयसीमा निर्धारित की है।इस संबंध में 6 महीने के अंदर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाना है और इसका अंतिम खाका अगले मार्च तक तैयार होगा।
अगर ऐसा होता है तो भारत के राजनीति में क्रांतिकारी सुधार आयेगा। चुनाव प्रचार के दौरान होनेवाले बेतहाशा खर्च में कमी आयेगी।  नीति आयोग की मसौदा रिपोर्ट भी कुछ ऐसा ही कहती है। एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक दलों का ध्यान चुनावी रणनीति से अधिक लोगों को किये गए वादे और विकास कार्यों पर होगा। अलग अलग विभागों के प्रमुख बार-बार सरकार बदलने और चुनाव का बहाना बनाकर लोकहित के कार्यों को अटका नहीं पायेंगे। सरकारी स्कूल के शिक्षक अधिकतर मतदाता सूची संबंधित कार्यो में उलझे रहते हैं जिससे देश के भावी कर्णधारों  को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। एक साथ चुना होने से ये शिक्षक भी अपना समय बच्चों को पढ़ाने पर दे पायेंगे। इसके अलावे और भी कईं जनहित के फायदे देश वासियों को हो सकते हैं।
अब कुछ लोग इसे मोदी स्टंट कहने की मुर्खता कर सकते हैं। तो उनको पता होना चाहिए कि संविधान लागु होने के बाद लगातार 1951,1957, 1962 और 1967 के लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव साथ ही हुए। 1967 में जब देश के उत्तर प्रदेश ,बिहार, राजस्थान समेत आठ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें बनीं तो कांग्रेस का एक छत्र वर्चस्व खत्म हो गया। कईं राज्यों में गैर-कांग्रेसी  सरकारों को भंग करवा कर मध्यावधि चुनाव करवाये गए और तभी से ये सिलसिला चल पड़ा। 

नीति आयोग के सलाह पर यदि गौर फरमाया गया तो 2024 तक लोकसभा और विधान सभा के चुनावों का मजा एक साथ उठा सकते हैं। मेरे विचार से ये एक उत्तम व्यवस्था होगी।  विश्व में भारत और मजबूत लोकतंत्र के रुप में उभरेगा।

NITI Aayog Proposes Simultaneous Lok Sabha And Assembly Elections From 2024

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...