
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ...
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।।

इस कुत्ते को भी पता है रास्ता अभी शराबियों से पटा हुआ है इसलिए चक्कों के बीच एडजस्ट होने की कोशिश कर रहा है। दिन भर के भूखे कुत्तों के लिए शराबी अपने आधे नोचे हुए मांस,मछली और हड्डी के टुकड़े छोड़ जाते हैं। शाम के समय पीनेवालों की ही नहीं कुत्तों की भी दावत होती है।
खैर मज़ाक से परे देखें तो लोगों ने यहां के बाजार और रास्तों को ही अपने पीने का अड्डा बना लिया है। उपरोक्त कविता के पंक्तियों की तरह पूरे इलाके को मदिरालय बना दिया है। गजब की बात तो ये है कि किसी को यहां पुलिस का डर भी नहीं है। जबकि नोएडा और दिल्ली पुलिस के जवान अक्सर यहां देखे जाते हैं। इन मतवालों की वजह से यहां इतनी मात्रा में गंदगी होती है कि जिसका आप अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं। इसके अलावा दिन-दहाड़े शराब पीकर गाली-गलौच और लड़ाई-झगड़े तो यहाँ आम बात है। पिजिये लेकिन पलटिये नहीं। और ये पंक्तियाँ गुनगुनाईये....
बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला,
पी लेने पर तो उसके मुह पर पड़ जाएगा ताला,
दास द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले की,
विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।
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