बुधवार, 16 अगस्त 2017

सर्दी के बादल

ये तेरी सौंधी सी खुशबू
या तेरी बातों का जादू
ये तेरी पैरों की पायल
या तेरी आँखो का काजल
एक मुझे पाने का ख्याल
ये तेरे उलझे सवाल
सामने मेरे शराफत
ये तेरी मासूम शरारत
देख तुझे होती है हलचल
एक ये सर्दी के बादल

ये तेरे गोरे से गाल
और मेरे लब बेहाल
रोक लू या करुँ मनमानी
उफ़ ये तेरी जवानी

-राजन कुमार झा

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...