फिल्म पद्मावत पर महाभारत जारी है। दर्जन भर से ज़्यादा शहरों में अलग-अलग संगठन फिल्म पर बैन की मांग कर रहे हैं। मुट्ठी भर गुंडे सड़कों पर विचरते देखे जा रहे हैं, संभवतः उनके पास काम धाम नहीं है जो अब मिल गया है। कुछ ऐसे भी है जो लाठी डंडे ले कर सड़कों पर नहीं उतर सकते वो अपना पराक्रम सोशल मीडिया पर दिखा रहे हैं। लगभग साल भर पहले जब राजस्थान में थप्पड़ कांड हुआ था और देश के ज्यादातर लोगों को करणी सेना नाम के संगठन के बारे में पता चला था, तभी मैंने पूरे घटनाक्रम पर एक लंबा पोस्ट लिखा था। उसका लिंक भी नीचे साझा करुंगा। ((वैसे गूगल पर "फिल्म इतिहास और थप्पड़" लिखकर सर्च करेंगे तो सबसे पहले उसी का लिंक आयेगा)) तब मैंने फिल्म पद्मावती पर करणी सेना को हो रही आपत्ति की बात की थी, विस्तार से इस पर लिखा था कि क्यों किसी को भी इस तरह की फिल्म बनाये जाने पर आपत्ती होगी।
अब परिस्थिती यह है कि फिल्म पद्मावती का नाम बदल दिया गया है। एक तरह से बहस यहीं खत्म हो जाती है, लेकिन फिर इनको फुटेज कैसे मिलेगा... संजय लीला भंसाली ने कहा है कि फिल्म में सपने के सीन जैसा कुछ भी नहीं है वह महज़ अफवाह है। इसी को लेकर रोश था जिसे जायज कहा जा सकता है। उधर भंसाली कह रहे हैं ऐसा कोई सीन नहीं है। इसके बावजूद फिल्म में से कुछ तथाकथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटा दिया गया। कुल 5 कट हैं। मतलब आपके आपत्ति से दो चार सीन ज्यादा ही काट दिया गया। फिल्म को एक प्रतिनिधी मंडल और मीडिया के कुछ मित्रों को दिखाया गया। फिल्म देखने के बाद मीडिया के जो बंधु बाहर आये उन्होंने कहा कि फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र को सकारात्मक और वास्तविकता से अधिक यशस्वी दिखाया गया है। परंतु इस देश में अब नया ट्रेंड चल पड़ा है कुछ लोगों को इकट्ठा करो गुंडा गर्दी करो और मीडिया में आकर फुटेज खाओ। ऐसा कहने की वजह आप जानते हैं फिर भी कुछ झलक आपको दिखाता चलूँ.... खबरों के अनुसार इन बदलावों के बावजूद करणी सेना के नाम पर गुंडागर्दी जारी है। करणी सेना के अलावे भी कुछ लोग गुंडा होने की फ्री लांसिंग कर रहे हैं। बाकी कुछ लोग अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं। कुरुक्षेत्र में मॉल के बाहर फायरिंग हुई। सड़कों और सार्वजनिक तोड़फोड़ आगजनी की जा रही है। गाड़ियों को रोका जा रहा है सड़कें जाम की जा रही है जनजीवन को प्रभावित किया जा रहा है.... क्यों, जिन्हें आपकी वजह से परेशानी हो रही है उनकी क्या गलती है? किसी भी चैनल के डिबेट में आया करणी सेना का एक भी व्यक्ति उस काबिल नहीं लगा कि इस सवाल का जवाब दे। हो हल्ला मचा रहे हैं बेबुनियादी बातें कर रहे हैं। साल भर पहले इन्हीं लोगों के पास तर्क था, अब वो नहीं रहा। एक सूरज पाल जी हैं उन्होंने तो हद मचा रखी है। एक सोम नाम के नौजवान हैं कोई बाते कम कर रहे हैं शोर ज्यादा मचा रहे हैं। वजह है कि तर्क है नहीं इनके पास .... खैर...फिल्म पद्मावत की रिलीज़ को रोकने के लिए नारों, आगजनी , खत लिखने के बाद अब तोड़फोड़ की बारी है... राजपुताना शान के नाम पर टायर फूक रहे लोगों से जब मेरे एक सहयोगी ने पूछा आप क्या कर रहे हैं तो वो जवाब देते हुए हंसने लगे। हंसते हुए कहते हैं वो जी हम विरोध कर रहे हैं। खुद के आंदोलन का मजाक उड़ाया और जिनके नाम पर विरोध हो रहा है उनका भी।((घटना नोएडा की है)) सबसे मजेदार बात यह है कि एक करणी सेना नहीं है। कई सारे हैं... यहां चालाकी देखिये, जब गुंडे सड़क पर अपना जौहर दिखा आते हैं और मीडिया तस्वीरें दिखाती है तब इनके प्रवक्ता इन्हें अपना मानने से मना कर देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान आतंकियों की लाश लेने से यह कहकर मना कर देता है कि ये हमारे यहां का नहीं है कहीं से टपका हुआ है। सार्वजनिक स्थानों पर तोड़ फोड़ कर रहे इन लोगों को दूसरों की माताओं बहनों का ख्याल नहीं आता... कि वहां मौजूद महिलाओं में बहनों में डर फैल रहा होगा या उनको किसी तरह का नुकसान हो सकता है। आप दूसरों के मां बेटी की इज्जत नहीं कर रहे और वही करवाने निकले हैं, कैसा मजाक है साहब। मुंह पर कपड़ा बांध कर गुंडागर्दी कर आते हैं... आपके प्रवक्ता टीवी पर आयेंगे और वो ही आपकी इस बहादूरी को गुंडागर्दी कहकर पल्ला झाड़ लेंगे। 2,4 लोग होंगे कहेंगे जी ये वो वाली करणी सेना नहीं है वो दूसरी वाली है जो गुंडागर्दी कर रही है.. दूसरी वाली कहेगी तीसरी वाली है। यही हो रहा है। करणी सेना के कलवी साहब सुबह कहते हैं फिल्म देखने जायेंगे। शाम को कहते हैं नहीं जायेंगे। इतनी कन्फ्यूजन क्यों है?
कोर्ट के आदेश के बाद आत्महत्या कर लेने तक कि बात भी कही जा रही है। वैसे एक और बात कहुंगा राजपुतों की शान में कुछ गुंडे ग्रहण लगा रहे हैं, उनको अपना जौहर सीमा पर दिखाना चाहिए। देश की शान कही जानेवाली राजपुताना रायफल्स में भर्ती होना चाहिए लेकिन अगर इसी लायक होते तो यही करते...?
अब अंगुलियां निकालिये और गिनिये फिल्म को क्यों रिलीज होने जा रही है...
1. विरोध तो पद्ममावती का हो रहा था, पद्मावत का नहीं
2.यह कि इस फ़िल्म में खिलजी को आतातायी के रुप में दिखाया गया है।
3. रानी पद्मावती के शान में किसी तरह की गुस्ताखी नहीं की गई, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है.
4.फिल्म के डायरेक्टर ने खुद ही तथाकथित आपत्ती जनक दृश्यों को हटा दिया है।
5. सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर दिया है।
6..बात सुप्रीम कोर्ट ने दो दो बार फिल्म को हरी झंड़ी दे दी है
7.इस से पहले भी इतिहास पर आधारित और भी फिल्में आई, भगवान राम-सीता और जोधा अकबर पर बने टीवी सीरियल जिसमे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया गया। लेकिन तब करणी सेना और बाकी के पराक्रमी लोग क्या कर रहे थे। क्या राम राजपुत नहीं हैं? उनके लिए भी आ जाते एक बार सड़कों पर जब सिया के राम नाम का धारावाहिक प्रसारित किया जाता था। क्योंकि उसमें कई प्रसंग काल्पनिक है।
सौ बात की एक बात कहुँ, तोड़ फोड़ आग लगाने और दूसरों को नुकसान पहुंचाने, बहु बेटियों और बच्चों को डराने, आम लोगों को परेशान करने, सार्वजनिक और नीजी संपत्ति को तबाह करने से अच्छा होता चुप चाप एक होकर फिल्म देखने नहीं जाते...और फिल्म को फ्लॉप करवा देते। पर आपको पता है फिल्म आयी तो सब जायेंगे देखने ..ये वाले वो वाले और नकाब वाले भी। बाकी जय श्री राम
यह पोस्ट भी देखें...फिल्म इतिहास और थप्पड़
अब परिस्थिती यह है कि फिल्म पद्मावती का नाम बदल दिया गया है। एक तरह से बहस यहीं खत्म हो जाती है, लेकिन फिर इनको फुटेज कैसे मिलेगा... संजय लीला भंसाली ने कहा है कि फिल्म में सपने के सीन जैसा कुछ भी नहीं है वह महज़ अफवाह है। इसी को लेकर रोश था जिसे जायज कहा जा सकता है। उधर भंसाली कह रहे हैं ऐसा कोई सीन नहीं है। इसके बावजूद फिल्म में से कुछ तथाकथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटा दिया गया। कुल 5 कट हैं। मतलब आपके आपत्ति से दो चार सीन ज्यादा ही काट दिया गया। फिल्म को एक प्रतिनिधी मंडल और मीडिया के कुछ मित्रों को दिखाया गया। फिल्म देखने के बाद मीडिया के जो बंधु बाहर आये उन्होंने कहा कि फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र को सकारात्मक और वास्तविकता से अधिक यशस्वी दिखाया गया है। परंतु इस देश में अब नया ट्रेंड चल पड़ा है कुछ लोगों को इकट्ठा करो गुंडा गर्दी करो और मीडिया में आकर फुटेज खाओ। ऐसा कहने की वजह आप जानते हैं फिर भी कुछ झलक आपको दिखाता चलूँ.... खबरों के अनुसार इन बदलावों के बावजूद करणी सेना के नाम पर गुंडागर्दी जारी है। करणी सेना के अलावे भी कुछ लोग गुंडा होने की फ्री लांसिंग कर रहे हैं। बाकी कुछ लोग अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं। कुरुक्षेत्र में मॉल के बाहर फायरिंग हुई। सड़कों और सार्वजनिक तोड़फोड़ आगजनी की जा रही है। गाड़ियों को रोका जा रहा है सड़कें जाम की जा रही है जनजीवन को प्रभावित किया जा रहा है.... क्यों, जिन्हें आपकी वजह से परेशानी हो रही है उनकी क्या गलती है? किसी भी चैनल के डिबेट में आया करणी सेना का एक भी व्यक्ति उस काबिल नहीं लगा कि इस सवाल का जवाब दे। हो हल्ला मचा रहे हैं बेबुनियादी बातें कर रहे हैं। साल भर पहले इन्हीं लोगों के पास तर्क था, अब वो नहीं रहा। एक सूरज पाल जी हैं उन्होंने तो हद मचा रखी है। एक सोम नाम के नौजवान हैं कोई बाते कम कर रहे हैं शोर ज्यादा मचा रहे हैं। वजह है कि तर्क है नहीं इनके पास .... खैर...फिल्म पद्मावत की रिलीज़ को रोकने के लिए नारों, आगजनी , खत लिखने के बाद अब तोड़फोड़ की बारी है... राजपुताना शान के नाम पर टायर फूक रहे लोगों से जब मेरे एक सहयोगी ने पूछा आप क्या कर रहे हैं तो वो जवाब देते हुए हंसने लगे। हंसते हुए कहते हैं वो जी हम विरोध कर रहे हैं। खुद के आंदोलन का मजाक उड़ाया और जिनके नाम पर विरोध हो रहा है उनका भी।((घटना नोएडा की है)) सबसे मजेदार बात यह है कि एक करणी सेना नहीं है। कई सारे हैं... यहां चालाकी देखिये, जब गुंडे सड़क पर अपना जौहर दिखा आते हैं और मीडिया तस्वीरें दिखाती है तब इनके प्रवक्ता इन्हें अपना मानने से मना कर देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान आतंकियों की लाश लेने से यह कहकर मना कर देता है कि ये हमारे यहां का नहीं है कहीं से टपका हुआ है। सार्वजनिक स्थानों पर तोड़ फोड़ कर रहे इन लोगों को दूसरों की माताओं बहनों का ख्याल नहीं आता... कि वहां मौजूद महिलाओं में बहनों में डर फैल रहा होगा या उनको किसी तरह का नुकसान हो सकता है। आप दूसरों के मां बेटी की इज्जत नहीं कर रहे और वही करवाने निकले हैं, कैसा मजाक है साहब। मुंह पर कपड़ा बांध कर गुंडागर्दी कर आते हैं... आपके प्रवक्ता टीवी पर आयेंगे और वो ही आपकी इस बहादूरी को गुंडागर्दी कहकर पल्ला झाड़ लेंगे। 2,4 लोग होंगे कहेंगे जी ये वो वाली करणी सेना नहीं है वो दूसरी वाली है जो गुंडागर्दी कर रही है.. दूसरी वाली कहेगी तीसरी वाली है। यही हो रहा है। करणी सेना के कलवी साहब सुबह कहते हैं फिल्म देखने जायेंगे। शाम को कहते हैं नहीं जायेंगे। इतनी कन्फ्यूजन क्यों है?
कोर्ट के आदेश के बाद आत्महत्या कर लेने तक कि बात भी कही जा रही है। वैसे एक और बात कहुंगा राजपुतों की शान में कुछ गुंडे ग्रहण लगा रहे हैं, उनको अपना जौहर सीमा पर दिखाना चाहिए। देश की शान कही जानेवाली राजपुताना रायफल्स में भर्ती होना चाहिए लेकिन अगर इसी लायक होते तो यही करते...?
अब अंगुलियां निकालिये और गिनिये फिल्म को क्यों रिलीज होने जा रही है...
1. विरोध तो पद्ममावती का हो रहा था, पद्मावत का नहीं
2.यह कि इस फ़िल्म में खिलजी को आतातायी के रुप में दिखाया गया है।
3. रानी पद्मावती के शान में किसी तरह की गुस्ताखी नहीं की गई, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है.
4.फिल्म के डायरेक्टर ने खुद ही तथाकथित आपत्ती जनक दृश्यों को हटा दिया है।
5. सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर दिया है।
6..बात सुप्रीम कोर्ट ने दो दो बार फिल्म को हरी झंड़ी दे दी है
7.इस से पहले भी इतिहास पर आधारित और भी फिल्में आई, भगवान राम-सीता और जोधा अकबर पर बने टीवी सीरियल जिसमे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया गया। लेकिन तब करणी सेना और बाकी के पराक्रमी लोग क्या कर रहे थे। क्या राम राजपुत नहीं हैं? उनके लिए भी आ जाते एक बार सड़कों पर जब सिया के राम नाम का धारावाहिक प्रसारित किया जाता था। क्योंकि उसमें कई प्रसंग काल्पनिक है।
सौ बात की एक बात कहुँ, तोड़ फोड़ आग लगाने और दूसरों को नुकसान पहुंचाने, बहु बेटियों और बच्चों को डराने, आम लोगों को परेशान करने, सार्वजनिक और नीजी संपत्ति को तबाह करने से अच्छा होता चुप चाप एक होकर फिल्म देखने नहीं जाते...और फिल्म को फ्लॉप करवा देते। पर आपको पता है फिल्म आयी तो सब जायेंगे देखने ..ये वाले वो वाले और नकाब वाले भी। बाकी जय श्री राम
यह पोस्ट भी देखें...फिल्म इतिहास और थप्पड़
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