बुधवार, 28 अगस्त 2019

लाइन खिंच चुकी है.. आप खुद तय कीजिए आप स्वंय को कहां पाते हैं...

मैं क्यों बार बार आपको विदेशी मीडिया से सावधान करता रहता हूं उसका एक  उदाहरण देखिये...  
भारत विरोधी प्रोपेगेंडा परस्त पत्रकारिता के लिए विख्यात बीबीसी ने  अपने एक लेख में पत्थरबाजों द्वारा सुरक्षाबलों को मारने वाली कोशिशों को और बीते दिनों घाटी में हुई ट्रक ड्राइवर की हत्या को उचित सिद्ध करने का प्रयास किया. अपने लेख में बीबीसी उर्दू ने कश्मीर में हुई उस घटना पर सफाई पेश की जिसमें एक ट्रक ड्राइवर को पत्थरबाज ने सुरक्षाबल का जवान समझकर बेरहमी से मार दिया. अपने लेख में बीबीसी ने लिखा, “सेना के जवान बड़ी तादाद में ट्रक में ट्रैवल करते हैं, जिससे वहाँ के जवानों ने यह समझ लिया कि ट्रक में सुरक्षाबल हैं” हालाँकि, कुछ देर बाद बीबीसी ने अपने आर्टिकल में से इस लाइन को हटा लिया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने इस स्टोरी में उस लाइन का स्क्रीनशॉट ले लिया और ट्विटर पर शेयर कर दिया. भाषा उर्दू थी तो कई लोगों ने इसे रिट्वीट और कमेंट करके अनुवाद किया.  उर्दू भाषा से समझ सकते हैं कि लिखने वाला निश्चय ही कोई मुसलमान होगा.  यहां यह भी बताना जरुरी है कि इस प्रोपगेंडा पर सबसे ज्यादा रोष भी एक देशभक्त मुसलमान ने दिखाया उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर के बीबीसी की पोल खोल दी.. अपनी ट्वीट की सीरीज में पहले इम्तियाज ने बीबीसी को दुत्कारते हुए लिखा “बीबीसी उर्दू के पत्रकार ने पत्थरबाज की तरफ से खुद ही समझ लिया कि ट्रक में सिक्योरिटी फोर्स का कोई आदमी था, इसलिए उन्होंने उसे मारा. एक पत्रकार द्वारा हत्या का क्या घटिया आँकलन हैं. आज शर्म को भी शर्म सेमर जाना चाहिए!! RIP पत्रकारिता।”इस मामले पर अपने अंतिम ट्वीट में इम्तियाज ने लिखा, “ये जरूरी है कि कश्मीर की असल तस्वीर लोगों के सामने पेश की जाए क्योंकि बहुत से पाकिस्तानी लड़के है जो सोशल मीडिया पर वायरल होती ऐसी स्टोरी को पढ़ रहे है, आतंकी संगठन ज्वाइन करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं और फिर कश्मीर आकर परेशानी का कारण बन रहे हैं.पुलिस अधिकारी के अलावा बीबीसी को उसकी हरकत के लिए सोशल मीडिया पर कई यूजर्स दुत्कार रहे हैं. लेख की डिलीट हुई विवादित लाइन का भी बढ़-चढ़कर अनुवाद किया जा रहा है. साथ ही संस्थान के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने की भी माँग हो रही हैं.
देखिये बात सिर्फ बीबीसी की नहीं है, कुछ भारतीय मीडिया घराने भी ऐसा कर रहे हैं. कुछ मीडिया घरानों में पत्रकारों के नाम पर सिर्फ़ कट्टरपंथी लोग हैं..  और कुछ जन्मजात मनहूस जो खुद की ‘घटिया’ सोच और मनहूसियत को पत्रकारिता कहकर पेश कर रहे हैं.” लाइन खिंच चुकी है अब आप दर्शकों को तय करना है कि आप खुद को भारत के साथ देखते हैं या खिलाफ...  जय हिंद....  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...