बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

दिल्ली में बढ़ते बलात्कार - एक चिन्तन

दिल्ली को बलात्कार की राजधानी कहा जाने लगा है यह कोई उपलब्धि नहीं बल्कि अत्यधिक शर्म की बात है। बलात्कार भी ऐसे की छोटे-छोटे मासूम भी नहीं बक्शे जाते। कानून-व्यवस्था की लाचारी ने अपराधियों की हिम्मत बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
देश और समाज की परवाह करने वाला एक युवा होने के नाते जो कुछ भी आज मै  महसूस कर रहा हूँ, वैसा ही शायद कई लोग महसूस कर रहे होंगे। कुछ ही दिन पहले  उस चार और ढाई साल की मासूम के साथ हुई दरिंदगी ने कई लोगो को झकझोर दिया होगा।  
दिल्ली के लिए यह कोई  नयी बात नहीं है, यहाँ हर रोज़ करीब ६ बलात्कार होते हैं।  वर्ष २०१३ में १६३६ और वर्ष २०१४ में २१०० के करीब बलात्कार के मामले अकेले दिल्ली से सामने आये। 


तो  क्या अब समय आ  गया है जब हमारे देश में भी देह व्यापर को मान्यता दे दी जाय ताकि इन भेड़ियों को अपनी भूख मिटने का ऐसा जरिया मिले जिससे किसी मासूम की ज़िन्दगी तबाह न हो।  विषय चर्चा का है।  परन्तु यह तो तय है की इसका हल जल्द से जल्द ढूंढना होगा। अन्यथा घोर अववस्था फैलेगी।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...