गुरुवार, 8 मार्च 2018

मूर्ति खंडन

दूर्गा सप्तसती में मूर्ति रहस्यम, आपने पढ़ा है कि नहीं मालूम नहीं, लेकिन मूर्ति खंडन से अभी तक जरुर परिचीत हो गए होंगे... इतनी मूर्तियां तोड़ी जाने लगी है कि अपने किसी रोल मॉडल की टूटी मूर्ती की खबर सुनकर आप भी गुस्से से लाल पीले जरुर हुए होंगे...
मूर्तियों और स्मारकों का बनाया जाना, तोड़ना और गिराना नया नहीं है.... सबसे पहले 1357  में इटली के टोस्काना सूबे के सिएना शहर में बीच चौराहे पर लगी वीनस की मूर्ति को लोगों ने हटा दिया था दरअसल एक जंग में हारने के बाद उन्हें लगा कि इस नग्न मूर्ति के चलते ही भगवान उनसे नाराज़ हो गए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद स्थानीय लोगों ने इस मूर्ति को हटा दिया. अमेरिका समेत कई देश इससे अछूते नहीं है...तरक़्क़ीयाफ़्ता अमरीका इस वक़्त ऐसे ही दोराहे पर खड़ा है. वहां कुछ लोग उन्नीसवीं सदी में हुए गृहयुद्ध के कुछ बड़े जनरलों के बुतों को हटाना चाहते हैं. ये लोग ख़ुद को तरक़्क़ीपसंद कहते हैं. इन्हें लगता है कि गृहयुद्ध में गुलाम प्रथा या दास प्रथा के समर्थकों की मूर्तियां अब देश में नहीं रहनी चाहिए... इसके पहले भी अमेरिका स्वतंत्रता आंदोलन के वक्त भी जॉर्ज थ्री की मूर्ति को गिरा दी गई थी...इसके अलावे दुनिया भर के देशों में मूर्तियाँ बनती और टूटती रही हैं... जाहिर है अलग-अलग समय में तोड़ी जानी वाली मूर्तियों के पीछे की वजहें भी अलग अलग होंगी... दूसरे देशों पर चर्चा फिर कभी करेंगे, फिलहाल अपने यहां की बात कर लेते हैं...
त्रिपुरा में लेनिन, पश्चिम बंगाल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी और तमिलनाडु में पेरियार की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने के बाद गुरुवार को केरल के कन्नूर में महात्मा गांधी की प्रतिमा को भी अज्ञात लोगों ने नुकसान पहुंचाया है. बताया जा रहा है कि गांधी की मूर्ति के चश्मे को तोड़ दिया गया है...लेनिन, महात्मा ग़ांधी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अंबेडकर अब लगभग सभी विचारधारा वाले नायकों की मूर्तियां टूट चूकी हैं।  अच्छी बात यह है कि, मूर्ति तोड़े जाने पर सभी पार्टियाँ खेद प्रकट कर सकती है। सभी इसकी कड़ी निंदा कर सकते है, वो भी जो मूर्ति ढाहने में शामिल हैं।
प्रतिमाओं को तोड़े जाने के पीछे कोई राजनीतिक या वैचारिक भावना नहीं है बल्कि बदले की भावना है। वो भी उपरी सतह पर नहीं बल्कि ये काम बेकार बैठे उन नौजवानों का है जिनके जीवन का कुछ खास उद्येश्य नहीं है कुछ कर नहीं पाये पढ़ाई लिखाई भी नाम मात्र की और फलना भईया जिंदाबाद मूर्दाबाद के नारे लगाते फिरते हैं। दूसरे कुछ शरारती तत्व हैं जो हर जगह होते हैं, उन्हें हल्ला गुल्ला करवा कर मजा आता है।
हमारे यहाँ तो भगवान की मूर्तियों को भी नही छोड़ा जाता है। बंगाल में जहाँ की दूर्गा पूजा सबसे आकर्षक होती है वहीं दूर्गा की प्रतिमाओं के खंडन की खबरें सबसे ज्यादा आती हैं।
मूर्तियां प्रतिमायें तो बनती टूटती रहेंगी लेकिन सोचिये इससे आपको मिलेगा क्या?  अफसोस के सिवा कुछ भी नहीं... हाँ हम न्यूज वालों को जरुर कुछ तस्वीरें मिलेंगी जिसे एक्सकलूसिव बनाकर टीवी पर दिखयेंगे जिसे देखने के बाद आप अपनी पीठ थपथपायेंगे कि टीवी पर दिखाया जानेवाला ये महान काम  हमने किया है... चलिये आपकी वजह से हमें कुछ मटेरियल तो मिल जाता है , 24 घंटे में पीएम मोदी, राहुल , कश्मीर में सीज फायर और मुठभेड़ के अलावा कुछ तो अलग दिख ही जाता है आपलोगों की वजह से टीवी पर। लगे रहिए.......  

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...