शनिवार, 16 दिसंबर 2017

क्या कांग्रेस में भी कोई मार्ग दर्शक मंडल है?

देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल का अध्यक्ष बनना ऐतिहासिक घटना है। बात और भी ख़ास हो जाती है यदि उस पार्टी ने तकरीबन 60 सालों तक देश पर राज किया हो। पार्टी अगर 130 साल पुरानी हो तो अध्यक्ष पद की महत्ता थोड़ी और बढ़ जाती है। आज राहुल गांधी को कांग्रेस की गद्दी सौंप दी गई। प्रधानमंत्री मोदी  द्वारा राहुल गांधी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शहजादा  शब्द प्रसांगिक हो गया। कांग्रेसी कार्यकर्ता खुशियाँ मना रहे थे इसका मौका 2014 के आम चुनावों के बाद कम ही मिला। आगे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के नतीजों से ख़ास उम्मीद नहीं कर सकते, ओपिनियन पोल्स ने कांग्रेसियों को थोड़ा और चिंतित कर दिया था। लेकिन आज सब भूल भाल कर कांग्रेसी 24 अकबर रोड पर झूम रहे थे। आतिशबाजी भी हो रही थी। इसके बाद भाषणों का सिलसिला चला। सोनिया गांधी का भाषण जिस किसी ने भी लिखा था, कमाल लिखा था। सोनिया गांधी ने भी बहुत अच्छा पढ़ा। सच कहूँ तो राहुल गांधी से ज्यादा अच्छा भाषण सोनिया गांधी का ही था। 
  राहुल शायद मंच पर पहुंच कर भूल गए कि गुजरात के विधानसभा चुनावों के लिए मतदान हो चुके हैं। उनके भाषण में कांग्रेस के भविष्य को लेकर विजन और प्लानिंग कम बीजेपी पर हमले अधिक थे। राहुल गाँधी ने अध्यक्षीय भाषण के लिए होमवर्क ठीक से नहीं किया था। उनके भाषण से मुझे थोड़ी निराशा हुई।
  राहुल ने भाषण के दौरान कहा कि वे दिग्गजों के नेतृत्व में लड़ते रहेंगे। अब मेरी समझ में ये नहीं आ रहा है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष किन दिग्गजों की बात कर रहे हैं जिनके नेतृत्व में वो लड़ते रहेंगे। अगर ऐसा है तो उन दिग्गजों ने पार्टी की कमान क्यों नहीं संभाली जो पार्टी अध्यक्ष का नेतृत्व करने वाले हैं? क्या कांग्रेस में भी कोई मार्ग दर्शक मंडल है?   

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...