गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

लुप्त होती भाषायी मर्यादा

अपने क्रोध पर संयम रखते हुए गुजरात के एक नये नवेले सियासी दूल्हे का इंटरव्यू देख रहे थे। दलितों की राजनीति के नाम पर वोट बंटोरने में कामयाब रहे जिग्नेश मेवाणी न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिये इंटरव्यू में अपने असली रंग में दिखे। उनका रंग है समाज को दलित और समान्य वर्ग में बांटने की राजनीति को और आगे बढ़ाना, विरोधियों को जमकर गाली देना और जीत के  सुरूर में डूब कर एक अभिमानी की तरह पेश आना है। इस इंटरव्यू में उन्होंने पीएम पर वही इल्जाम लगाये जो कांग्रेस 2014 से ही लगाती आ रही है। लेकिन पीएम को दी गयी उनकी नसीहत साफ साफ बता रही थी कि पहली बार एमएलए बने जिग्नेश पर जीत का नशा किस कदर हावी है। दलित नेता जिग्नेश मेवानी प्रधानमंत्री पद की गरिमा भूल गए। उन्होंने पीएम मोदी को हिमालय चले जाने की सलाह देते हुए कहा कि वहां किसी राम मंदिर को पकड़ लें और घंटी बजाए। इसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि नरेंद्रमोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा भी नहीं रखी। उसी गरिमा की बात कर रहे हैं जिसे 2 वाक्य पहले वो खुद चकनाचूर कर रहे थे। प्रश्न है कि  देश की राजनीति में आने वाले नौसिखियों की लुप्त होती भाषायी मर्यादा की हदें देश की राजनीति के स्तर को और कितना गिरायेंगी?
  उनके अलावे दो और  धुरंधर हैं जो इस विधानसभा चुनाव में उभर कर आये। आगे उनका क्या होगा वो समय पर छोड़ दीजिए लेकिन फिलहाल उन्हें ऐसा लगने लगा है कि अब जो हैं सो हम ही हैं। उन्हें ऐसा लगाने में एक ख़ास तबके को रिझाने वाली ताकतों का हाथ है। ये वो लोग हैं जिनके लिए उस ख़ास तबके का सत खून माफ है, कारण सिर्फ और सिर्फ उनका वोट हासिल करना है। अब अपनी जमात में गुजरात के इस त्रिमुर्ती को शामिल करने के लिए डोरे डाले जाने लगे हैं।  
गुजरात चुनाव में भाजपा विरोधी युवाओं की त्रिमूर्ति भले ही कांग्रेस को जीत का स्वाद चखा न पाई हो, इसके बावजूद भाजपा की धुरविरोधी पार्टियां अब इनसे दोस्ती बढ़ाती दिख रही हैं। गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी रहे हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संपर्क में हैं। वे भाजपा विरोधी मुहिम तेज करने के लिए ममता से सलाह मशविरा कर रहे हैं।
 तृणमूल कांग्रेस के सांसद व प्रवक्ता डेरेक ओब्रायन ने इसकी जानकारी दी है।  बता दें कि गुजरात चुनाव के परिणाम आने के बाद ममता बनर्जी ने हार्दिक पटेल को फोन कर उन्हें चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए बधाई भी दी। जिग्नेश मेवाणी के साथ भी ममता की टेलीफोन पर बातचीत हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर ममता भाजपा विरोधियों को एकजुट करने में जुट गई हैं। ये सियासी जमघट अगर देश की भलाई के लिए बन रहा होता तो उसका स्वागत करता, लेकिन ये जमघट सिर्फ और सिर्फ एक ख़ास तबके को खुश करने और देश में एक ख़ास विचारधारा को थोपे जाने को लेकर हो रहा है। संप्रदायवाद और सेक्यूलरिज्म के नाम पर देश के प्रधानमंत्री और उसके पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली पार्टियाँ एक साथ अब मिलकर ये काम करेंगी। बदले में नरेंद्र मोदी और उनकी टीम हर प्लेटफॉर्म पर एक हो रही इन शक्तियों का मुकाबला करेंगी। दोनों तरफ से शब्दों और वाक्यों के तीर छूटेंगे जो सबसे पहले संस्कारों को छेदेंगी। युद्ध इतना घमासान होगा कि बाप और बेटे एक ही भाषण को अलग अलग सुनना पसंद करेंगे। हम टीवी वालों को भी भाषण सुनवाते वक्त बीप का इस्तेमाल करना होगा। कईं बार तो शब्द इतने आम हो जायेंगे कि बिना बीप के भी टेलिकास्ट किया जाने लगेगा।
 सावधान 2018 आने वाला है....अगले पोस्ट का शिर्षक है... 

- राजन कुमार झा, (पत्रकार -जी मीडिया)

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...