बड़ों का आदर सत्कार हो,
माँ बाबुजी की जय-जयकार हो।
हथेलियों में आकर समा जायें...
सपनों का जो भी आकार हो।
नव वर्ष में ऐसा चमत्कार हो,
दसो दिशाओं में मेरा हुंकार हो,
सफलताओं से जाकर कह दो...
अब और न तिरस्कार हो।
जीवन में जब सफलताओ का अंबार हो
दूर मुझसे तब, सदा अंहकार हो,
मीट जाये जीवन से मेरे...
ये , जितने भी अंधकार हों।
सुकर्म निष्ठा प्रेम सब मेरे अलंकार हों,
विजय पताका लहराये, शत्रुओं का संहार हो..
राज करुँ मैं राजन बनकर...
नववर्ष कुछ ऐसा ही बारंबार हो...
-राजन कुमार झा...
नये साल की हार्दिक शुभकामनायें
साल 2018 मंगलदायक हो.......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें