शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

कुछ बारिस बादल से कुछ बारिस आँखों से


कुछ बारिस बादल से कुछ बारिस आँखों से
कितना बरसेगा ये बादल होड़ लगी मेरे आँखों से 
रेत से घर बनाया प्यार का मिलकर 
फिर रेत में ही मिला दिए उसने अपनी हाथो से 
रिस्ता जोड़ा उसने मैने सांसों का सांसों से 
पर खेल रही है वो पगली मेरे इन एहसासों से 
जब तक मैं इस नींद से जागता
जा चूका था अपनी होस हवासो से 
कुछ बातें खुद से कुछ बातें रातो से 
हाय , हमने क्या ये किया ?प्रेम किया अंगारो से 
दिल तो जला अब मन भी जले है ,,
मार गिराया उसने मेरे अरमान को अपनी बातो से ...

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...