कुछ बारिस बादल से कुछ बारिस आँखों से
कितना बरसेगा ये बादल होड़ लगी मेरे आँखों से
रेत से घर बनाया प्यार का मिलकर
फिर रेत में ही मिला दिए उसने अपनी हाथो से
रिस्ता जोड़ा उसने मैने सांसों का सांसों से
पर खेल रही है वो पगली मेरे इन एहसासों से
जब तक मैं इस नींद से जागता
जा चूका था अपनी होस हवासो से
कुछ बातें खुद से कुछ बातें रातो से
हाय , हमने क्या ये किया ?प्रेम किया अंगारो से
दिल तो जला अब मन भी जले है ,,
मार गिराया उसने मेरे अरमान को अपनी बातो से ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें