बुधवार, 27 सितंबर 2017

दहशतगर्द या मिलिटेंट ?

 उर्दू एक हिन्दुस्तानी भाषा है। हिंदी की तुलना अगर उर्दू से करें तो इसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों के बजाय तद्भव शब्द अधिक हैं। धीरे धीरे इसमें अरबी और फारसी के शब्दों को भी स्थान मिला। हिंदी और संस्कृत की तुलना में उर्दू के शब्द भंडार कम हैं अतः इसमें सबसे ज्यादा हिंदी और आवश्यकता पड़ने पर अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।
संस्कृत पृष्ठभूमि का होने की वजह से उर्दू पढ़ने और जानने का मौका कम ही मिला लेकिन नियति देखिये काम करने का प्रथम अवसर एक उर्दू  टीवी चैनल में मिला बतौर आलेखक । ख़ैर, अपने सीनियर्स की देख रेख में मैने थोड़ी बहुत उर्दू सिखी। देवनागरी में ही उर्दू लिखना। इतना तो सिख ही लिया कि कश्मीर की एक बुलेटिन निकाल सकूँ। इसी बीच कुछ शब्दों को लेकर न्यूज रुम के भीतर असमंजस की स्थिती है। वह शब्द है दहशतगर्द। इस शब्द से कुछ लोगों को आपत्ती है।
दरअसल बहस इस बात पर है कि कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने वाले आतंकी उर्दू में क्या हैं?  दहशतगर्द या मिलिटेंट...
दहशत का अर्थ आमतौर पर भय या आतंक से है, जिस प्रकार आतंक फैलाने वाले को आतंकवादी( आतंकी ) कहा गया। ठीक उसी प्रकार दहशत फैलाने वाले को दहशतगर्द कहा गया। अर्थात जो दहशतगर्दी फैलाता है दहशतगर्द है।
मिलिटेंट अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसे हिंदी में उग्रवादी कहते हैं। उग्रवाद दरअसल एक प्रकार का आतंकवाद ही है साल 2004 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक लेख के अनुसार। जहाँ किसी भी संगठन द्वारा सरकार और आम नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से किसी भी प्रकार की क्षति को पहुंचाने वाले कृत्य को आतंकवाद कहा गया।
संक्षेप में आतंकवाद के कईं प्रकारों यथा राजनीतिक, आर्थिक और समाजिक में से उग्रवाद को एक कहा जा सकता है। जब आतंकवाद और उग्रवाद की चर्चा हो रही है तो नक्सलवाद का जिक्र भी जरुरी है। नक्सलवाद एक प्रकार का उग्रवाद ही है. इस प्रकार ये भी आतंकवाद है। लेकिन विद्वानों ने फिर भी भारत में आतंकवाद को तीन समूहों में बांट दिया है। एक आतंकवाद दूसरा नक्सलवाद और तीसरा उग्रवाद।
यदि बात उग्रवादियों और नक्सलवादियों की करें तो इनकी लड़ाई देश से नहीं बल्कि देश के प्रशासनिक और समाजिक व्यवस्था से है। वहीं आतंकवाद की लड़ाई सीधे देश से है। उग्रवादी इसी देश में रहते हुए समाजिक और प्रशासनिक बदलाव चाहते हैं जबकि आतंकवादी देश तोड़ने और इसे क्षति पहुंचाकर अलग देश बनाने की मांग करते हैं। अपवाद दोनों जगह मौजूद है।
जब बात कश्मीर की करते हैं तो यहां कुछ लोग और संगठन हथियार के दम पर कश्मीर को देश से अलग कर के या तो स्वतंत्र होना चाहते हैं या पाकिस्तान के साथ मिल जाना चाहते हैं। इन परिस्थितियों में ये आतंकवाद है उर्दू में दहशतगर्दी और इसको बढ़ावा देने वाले दहशतगर्द (आतंकवादी)। फिर कुछ लोगों का ये कहना कि इन्हें मिलिटेंट( उग्रवादी) कहना चाहिए मेरे समझ से परे है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...