रविवार, 8 अक्तूबर 2017

प्रजातंत्र में जिम्मेदारी प्रशासक से अधिक प्रजा की होती है...



सरकार अगर एकनोमी के सामने खड़े चुनौतियों से दो दो हाथ करने के लिए प्रतिबद्धता दिखा रही है तो इसमें कारोबारियों को भी आर्थिक माहौल बनाने में अपनी तरफ से योगदान देना चाहिए....




गुजरात दौरे पर प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कारोबारियों को विश्वास में लेने की कोशिश की, टाईमिंग देखिये, उधर जीएसटी काउंसिल ने छोटे कारोबारियों और निर्यातकों के प्रति नर्मी बरती ईधर मोदी जी ने कारोबारियों को लालफीताशाही और बाबूगीरी से मुक्त करने की बात कही। मोदी जी जब बोलते हैं उन्हें पता होता है कि वो कहाँ हैं और उन्हें क्या बोलना है...खैर इसपर तो ढ़ेरों रिपोर्ट आयेंगे और बड़े-बड़े लेख लिखे जायेंगे लेकिन मेरा ध्यान इस समय #बंगाल पर है। बंगाल से मुझे कुछ ज्यादा लगाव भी है।
दार्जिलिंग समेत पूरे पहाड़ी क्षेत्र में स्थिति सामान्य हो रही है, परंतु भाजपा नेताओं के दार्जिलिंग दौरे के बाद एक बार फिर नए सिरे से सियसत तेज हो गयी है। यह जंग तृणमूल और भाजपा के बीच छिड़ी हुई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष पर दार्जिलिंग में हुए हमले के बाद जब भाजपा ने सड़क पर उतर कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला फूँका था तो इसके विरोध में शनिवार और रविवार को लगातार दो दिनों तक तृणमूल ने भी पूरे राज्य में जगह-जगह जुलूस निकाला और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुतले को जलाया।
हालांतकि भजपा नेताओं पर हमले का आरोप गोरख जनमुक्ति मोर्चा से अलग हुए विनय तामांग समर्थकों पर लगा था किंतु भाजपा नेता इसमें तृणमुल के शह होने की बात कह रहे हैं। इसके पीछे की वजह ये है क्योंकि ममता ने विनय तामांग को पहाड़ के लिए गठित नए प्रशासनिक बोर्ड का चेयरमैन बनाया है और तामांग भाजपा नेताओं के दौरे का विरोध कर रहे थे। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी का कहना है कि दिलीप घोष के जाने से पहाड़ में अशांति फैलने लगी है। सरकार पहाड़ में मुख्य आंदोलनकारी गोजमुमो को दबा कर विनय तमांग गुट को मजबूत बना रही है। इसकी एक वजह ये भी है कि भाजपा पहाड़ में गोजमुमो प्रमुख विमल गुरंग को ही वहाँ का असल नेता मानती है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पहाड़ समस्या पर गोजमुमो को त्रिपक्षीय बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है। गृहमंत्री के अनुरोध पर ही गुरंग ने पहाड़ पर हड़ताल वापस ली है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्त विभाग ने फिर गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के स्पेशल ऑडिट की प्रक्रिया शुरु करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। पहले भी सरकार जीटीए के ऑडिट के निर्देश दे चुकी है लेकिन हिंशा की वजह से जांच रुक गयी। सरकार का कहना है कि जीटीए को 1500 करोड़ दिये गए लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च कहाँ हुई इसका कोई हिसाब नहीं है।


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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...