बुधवार, 28 मार्च 2018

क्या चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाना जायज है? विपक्ष और कितना गिरेगा....


राम मंदिर पर चल रही सुनवाई को टालने के लिए विपक्ष और कितना गिरेगा......  अब आप कहेंगे कि मैं ये क्या बोल रहा हूँ लेकिन मेरी पूरी बात सुनने के बाद आप शायद ऐसा न कहें... देखिये अगर राम मंदिर पर सुनवाई टल जाती हैतो इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.... वो बीजेपी को इस मुद्दे पर घेर सकती है... अगर मंदिर पर फैसला आया और अदालत ने मंदिर बनाने की अनुमति दे दी... जो कि होना लगभग तय ही है... लेकिन अभी अगर ऐसा हुआ तो इसका श्रेय मोदी जी और बीजेपी ले जायेंगे फिर शायद कांग्रेस 44 से 4 पर आ जाये.... आप सोच रहे होंगे कि कांग्रेस ने आखिर ऐसा क्या कर दिया कि मैं उनपर ये इल्जाम लगा रहा हूँ.... याद कीजीए जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अगुआई में ये एलान किया गया कि  8 फरवरी से राम मंदिर पर सुनवाई होनी है तब कांग्रेस और कुछ वरिषठ वकील (वही वाले वकील) समझ ही गए होंगे... हां तो उन्होंने अदालत से गुहार लगाई  माई लॉड मामले पर 2019 चुनाव से पहले सुनवाई न की जाये..... जब माय लॉड नही माने तो 12 तारीख को 4 वरिष्ठ जज इतिहास रचते हुए मीडिया के सामने आ गये.... और चीफ जस्टिस के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार पर ही हमला कर दिया। ये जज भी वही वाले मानसिकता से प्रेरित हो सकते हैं.... अब जब सुनवाई हो रही है तो जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने की तैयारी कर ली गई है। माकपा सहित कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा तैयार प्रस्ताव से संबंधित मसौदे पर कांग्रेस और एनसीपी के सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। एनसीपी के वरिष्ठ नेता डीपी त्रिपाठी ने कहा है कि, कई विपक्षी दलों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत किये हैं। उन्होंने कहा है कि एनसीपी, वामपंथी पार्टियों, टीएमसी और कांग्रेस ने भी हस्ताक्षर किए हैं..... चीफ जस्टिस पर दबाव बनाया जा रहा है....  हमारे देश में लोकतंत्र बस नाम मात्र है... यहां लोकतंत्र के नाम पर गुट बाजी है... इस बात का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है कि कम से कम न्याय पालिका को इससे अलग रखा जाये... अन्यथा भयंकर कुव्यवस्था फैलेगी...और इसका नुकसान सबसे ज्यादा किसे होगा वो भी ज्ञात होना चाहिए....आप एक हो रहे हैं अच्छी बात है  लेकिन आपके एक होने के पीछे की मनसा ठीक नहीं है... सरकारें गिरती बनती रहेंगी पर जो नुकसान इस लोकतंत्र का होगा उसकी भरपायीभी फिर आप ही करेंगे क्योंकि प्रजा को प्रजा ही रहना है....सरकारें बदलती रहेंगी, तंत्र बदलते रहेंगे बस...
खैर विपक्ष और वो वाले लोग चाहे जितना शोर मचा लें... ये सब इतना आसान नहीं है....  चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभा में 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त महाभियोग प्रस्ताव की जरूरत होती है. इसके बाद ये प्रस्ताव संसद के किसी एक सदन में पेश किया जाता है. इसके बाद इसे राज्यसभा के चेयरमैन या लोकसभा के स्पीकर को सौंपना होता है.
- ये राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो इस प्रस्ताव पर क्या फैसला लेते हैं. वो मंजूर भी कर सकते हैं और नामंजूर भी
-अगर राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर इस प्रस्ताव को मंजूर करते हैं तो आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन होता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट का एक जज, एक हाईकोर्ट जज और एक विधि संबंधी मामलों का जानकार (जज, वकील या स्कॉलर) शामिल होता है.
-अगर कमेटी को लगता है कि आरोपों में दम है और ये सही हैं तो सदन में ये रिपोर्ट पेश की जाती है. फिर वहां से दूसरे सदन में भेजी जाती है.
- अगर इस रिपोर्ट को दोनों सदनों में दो तिहाई बहुत मिलता है महाभियोग पास हो जाता है
-इसके बाद राष्ट्रपति अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए चीफ जस्टिस को हटाने का आदेश दे सकते हैं.
-संसद में मौजूदा स्थिति क्या है
- माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस ये प्रस्ताव लेकर आती है तो इस पर एनसीपी, टीएमसी, सपा, डीएमके, लेफ्ट और आईयूएमएल समर्थन करेंगे.
- राज्यसभा में कांग्रेस के पास 51, डीएमके के पास 4, आईयूएमएल के पास 1, आरजेडी के 5, एनसीपी के 4, सपा के 13, टीएमसी के 13, बीएसपी के 4 और लेफ्ट के 6 सदस्य हैं.
- यानि कांग्रेस राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने में कामयाबी हासिल कर सकती है लेकिन लोकसभा में विपक्ष इसे पारित कराने की स्थिति में नहीं है. ऐसे इसके पारित होने की संभावनाएं बिल्कुल नहीं हैं.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...