मेरा अकेलापन मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है लेकिन इस अकेलेपन को मुझसे इतनी मोहब्बत है कि कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती।
ज़िन्दगी के शुरुआती दिन बड़े हसीन थे, इसमें नया कुछ नहीं है सभी के होते हैं। मेरे भी थे और आपके भी होंगे ही, नहीं थे तो कोई बात नहीं, अपवाद हर जगह होता है। बड़े होते गए और ज़िन्दगी से मेरी शिकायतें भी बढ़ने लगी। इसके भी अलग-अलग कारण थे एक कारण यह रहा की मैं जैसे जैसे बड़ा होता गया अपनों से बिछड़ता गया।
बचपन में भाइयों से खूब लड़ाई होती कई बार तो हाथा-पायी भी हो जाती। प्यार भी खूब था। पर लड़ते थे तब साथ थे जब हमारे बीच प्रेम बढ़ा लड़ाईयां कम हुई तो तीनों अलग-अलग हो गए। किसी को कुछ पढ़ना था तो किसी को कुछ बनना। तीनों देश के तीन बड़े शहरों में जा बसे।
जब मातृत्व और पितृत्व को समझा तो कैरियर बनाने के स्वार्थ ने मुझे उनसे भी अलग कर दिया। अब मेहमानों की तरह मिलना होता है। फ़ोन पर ही चरणस्पर्श का होना कभी-कभी अजीब लगता है। हम बोलते हैं मुँह से और वो सुनते हैं कान से लेकिन होता चरणस्पर्श है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना तो कोई हमसे सीखे।
स्कूल में कुछ मित्र बने थे उनमें कुछ मित्र ऐसे जिनको जीवन में कभी भुला नहीं सकते समय ने मुझे उनसे भी अलग कर दिया। धन्यवाद फेसबुक का जो दुबारा उनसे कांटेक्ट हो सका। मिलना कब हो, पता नहीं।
कॉलेज के दोस्त तो संयोग से ही साथ होते है वरन सब अपनी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में इस कदर व्यस्त होते हैं कि चाह कर भी फुर्सत नहीं हो पाती। चलते फिरते हाय हेलो होता है, फेसबुक पर हैप्पी दिवाली और हैप्पी बर्थडे। ज्यादा करीबी हैं तो व्हाट्सअप पर नाइस डीपी, और बता क्या हाल है और मित्र जबतक हाल लिख के भेजे हाल जानने वाले बिना हाल जाने ऑफलाइन जा चुके होते हैं।
देखने में ठीक ठाक हैं तो वो भी आई ही ज़िन्दगी में, हाँ वो ही...ठीक समझ रहे हैं आप।तब लगा की अब हर चीज में रूचि है मेरी। लेकिन वही हुआ.. जो होता है पर होना नहीं था। वो भी मेरी अभिलाषाओं को लेकर चाँद हो गयीं। हाँ चाँद ही हुई न, उसकी सुन्दरता को देख सकते हैं उससे प्यार कर सकते है पर हाथ बढ़ा कर उसे छू नहीं सकते उसे पा नहीं सकते। उनके बारे में ज्यादा बात नहीं करूँगा, आप लोगों को मेरा नॉवेल भी तो खरीदना है।
मेरी पीजी में कुछ साथी मिले जिनकी ज़िन्दगी ने भी उनको खूब सताया है पर बन्दे हैं बड़े ढीठ उनके संघर्ष ने मानो मेरी आँखें खोल दी और बातो ने एक दिशा दे दी। आने वाली मेरी 2 कहानियां उन्ही पर होंगी। इन सब के बीच अफ़सोस यह है कि अब वो भी जा रहे हैं। खैर मेरी ज़िंदगी में लोग जाने के लिये ही तो आते हैं। आना जाना तो लगा रहेगा मेरे चले जाने तक।
अच्छी बात यह है कि मेरे सारे शुभचिंतक फोन के माध्यम से मुझसे जुड़े हैं। बुरी बात यह है कि फ़ोन को बार बार चार्ज करना पड़ता है। अकेले रहा नहीं जाता क्योकि मेरा अकेलापन मुझे बिलकुल पसंद नहीं, इसे मुझसे जितनी मोहब्बत है मुझे इससे उतनी ही नफरत है।
Sabki zindagi me loag aate hi jane k lie hain bhaiya ...
जवाब देंहटाएंAnyways. ..great one ...🙌