भारत निर्वाचन आयोग अंग्रेजी में Election Commission of India एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन हमारे देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया है। 25 जनवरी 1950 को यह अस्तित्व में आया।
भारत में बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है अर्थात यहां बहुत सारे राजनीतिक दल हो सकते हैं। उनमें क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल हो सकते हैं। राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए शर्त है कि उन्हें देश के कम से कम 4 राज्यों में मान्यता प्राप्त करना होगा। उसके बाद यह दर्ज़ा निर्वाचन आयोग ही देगा। इतना तो शायद आप जानते ही होंगे नहीं जानते तो भी कोई बात नहीं अब तो जान ही गये...
लेकिन मैं यह नहीं जानता था कि हमारे देश में लगभग 1900 रजिस्टर्ड पोलिटिकल पार्टी हैं। यह तो बिलकुल नहीं जानता था कि इनमें से ज्यादातर ने कभी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया और इससे भी रोचक इनका लिखाया हुआ ठिकाना भी सही नहीं है।
आज ही टीवी पर देख रहा था एक राजनीतिक दल ने अपना ठिकाना राजनाथ सिंह का आवास लिखवाया हुआ है, एक दूसरे दल ने तो गाज़ियाबाद के किसी डॉक्टर का वो भी लेडी डॉक्टर के घर का पता लिखवाया है। दोनों दिल्ली एनसीआर की पार्टियां थी और ऐसे 56 नमूने अकेले दिल्ली में और भी थे। अकेले दिल्ली से 50 से भी अधिक फ़र्ज़ी राजनीतिक दल....सोचिये...
सवाल उठता है कि जब चुनाव ही नहीं लड़ना तो पार्टी का रजिस्ट्रेशन क्यों करवाये...जब मैच ही नहीं खेलना है तो दस्ताना पहनकर फिल्ड में क्यों टहल रहे हैं... कुछ विद्वान कह रहे हैं ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए... ये तरीका मैं भी जानना चाहूंगा क्योंकि तरकीब अच्छी है...
लेकिन क्या वास्तव में ये दोषी हैं? मैं कहूंगा नहीं... दोषी चुनाव आयोग है.. आयोग का ढीलापन दोषी है। आयोग के अधिकारी कम से कम दिए गए पते की जाँच तो कर ही सकते हैं, या ये कहे की चुनाव आयोग के अधिकारियो को देश के गृह मंत्री के आवास का पता नहीं मालूम...क्या उन्होंने कभी 17 अकबर रोड का नाम नहीं सुना होगा? और अगर नहीं सुना तो.....तो....वही जो आप सोच रहे हैं... यहाँ थोड़ी न लिखूंगा। आपलोग खुद ही समझदार हैं तभी इतना पढ़ भी रहे हैं...
एक और तथ्य जहाँ आपका ध्यानाकर्षण चाहूंगा... एक- एक कर पार्टियां बनती गयी, आप चुनाव करवाते गए लेकिन मॉनीटिरिंग
अब जा कर कर रहे हैं... पहले कहाँ थे? अब भाजपा वाले क्रेडिट लेंगे और विरोधी फिर इसपे उलझेंगे... तू तू ,मैं मैं होगी। देश मुद्दों से भटक जायेगा, अक्सर होता है इसमें कौन सी नयी बात है। कुछ लोग कहेंगे चुनाव आयोग मोदीजी के इशारे पर काम कर रहा है जी... अब मेरा मतलब उनसे नहीं है जो आप समझ रहे हैं। वो AAP ही जाने।
मोटा-मोटी 250 पार्टियों पर चुनाव आयोग की वक्र दृष्टि पड़ ही गयी..अब इन दलों के अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यक्षो को भी पकड़ा जाये, उनकी सकल देखने को हम तरस रहे हैं। उनसे पूछताछ होगी तो और बाते सामने आएंगी, मुझे और कंटेंट मिलेगा। नोटबंदी पढ़ लिख सुनकर थक गए। इंतेजार कीजिये...हम भी कर रहे हैं।।
शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016
चुनाव आयोग की रफ़्तार धीमी...
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विजयी भवः
सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर सामर्थ्य का तू ध्यान कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...
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