सोमवार, 23 जनवरी 2017

जलीकट्टू

     जलीकट्टू तमिलनाडु का एक सांस्कृतिक खेल है। इस खेल को पोंगल के अवसर पर खेला जाता है। जो लोग नहीं जानते थे वो भी इसे बखूबी जानने लगे हैं। यह मीडिया का कमाल है। मैंने भी थोड़ी बहुत रिसर्च की है सोचा आपसे साझा कर लूं। मुझसे इसके समर्थन या विरोध की उम्मीद नहीं रखियेगा। मैं अपनी बात रखूँगा फैसला आप करते रहिए। डोनाल्ड ट्रम्प की बात नहीं करेंगे उससे जरुरी अपने देश का मामला है।
     सांड़ या बैल को पकड़ कर काबू करने वाले इस खेल की शुरुआत करीब 400 साल पहले हुआ माना जाता है। कहीं कहीं तो ऐसे साक्ष्य भी मिले जो इसको 2500  साल पुराना बताती हैं। बैल को पकड़ कर काबू करने वाले को इनाम भी दिए जाते हैं। सुनने में आता है कि इस खेल के द्वारा महिलाये अपना वर भी चुना करती थीं। एक तरह का स्वयंवर कह सकते हैं। इसे बुलफाइटिंग कहना गलत होगा क्योंकि इस खेल के दौरान न तो किसी प्रकार के हथियार का इस्तेमाल किया जाता है न ही बैलों को मारा जाता है।
   सांडों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाने और उनके साथ दुर्व्यवहार जैसी खबरे भी सामने आयी, ताकि सांड़ तेज़ दौड़ सके और खेल में रोमांच पैदा हो।
   साल 2014 में पेटा (पीपुल फ़ॉर द इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल) की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू पर बैन लगा दिया। पेटा के बारे में ज्यादा पता नहीं किया क्योंकि मुझे नहीं लगता इसकी आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तथाकथित संस्था ने बूचड़खाने और कसाई खाने को लेकर कभी कोई पेटीशन किसी न्यायलय में दाखिल नहीं किया। जबकि पशु हत्या से अधिक क्रूरता और क्या हो सकती है...
     जलीकट्टू के दौरान हलकी फुलकी चोटों को नज़रंदाज़ किया जाये तो ज्यादा हानि मनुष्यो को हुई है। इस खेल के दौरान  सैकड़ो मौते भी हुई हैं। हज़ारो की संख्या में लोग जख्मी हुए हैं। रविवार को भी 2 लोगो के मरने और 129 के घायल होने की खबर मिली। फिर क्रूरता पशुओं के साथ हुई या मनुष्यो के साथ? सुप्रीम कोर्ट का कहना है पशुओं के इक्षा के बिना उन्हें दौड़ने पर विवश किया जाता है, शायद कसाई खानों मे पशुओं को काटने से पहले इजाजत ली जाती होगी।
   
   फिर घटनाक्रम पर लौटते हैं। 2011 के बैन और सुप्रीम कोर्ट के रोक के बाद से ही जलीकट्टू को शुरू किये जाने को लेकर स्थानीय लोग प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसबार भी पोंगल के आते ही मामले ने तूल पकड़ा और लोग सड़कों पर उतर आये। तमिलनाडु के सीएम पनीरसेल्वम ने नरेंद्र मोदी से इस बाबत मुलाकात भी की। इस दौरान फिल्म स्टार रजनीकांत, ए आर रहमान से लेकर दक्षिण भारत के कई फ़िल्मी सितारे और क्रिकेटर आर अश्विन तक जलीकट्टू के समर्थन में आगे आये। आनन फानन में अध्यादेश भी लाया गया और खेल का आयोजन भी होने लगा।
     हज़ारो की तादाद में लोग मरीना बीच पर इसे स्थायी करने की मांग को लेकर अड़े रहे। सुबह पुलिस उन्हें खदेड़ने पहुँची बदले में आगजनी हुई। शांति से चल रहा प्रदर्शन उग्र होने लगा। असामाजिक तत्वो को अवसर मिल गया वो अपने काम को बखूबी अंजाम देने लगे। पुलिस ने 300 के करीब लोगो को गिरफ्तार कर लिया है इसमें सभी तो गुंडे नहीं ही होंगे। बल का प्रयोग दोनों तरफ से हुआ इसमें कोई संसय नहीं है। जलीकट्टू के प्रदर्शनकारियों में लीडरशिप की कमी साफ़ देखी जा सकती है, सियासी नेताओ की अनदेखी से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अहिंसक भीड़ को भड़काने में उनका हाथ भी हो सकता है, हमारे यहाँ सबसे आसान काम यही है। अब आप फैसला करते रहिए, हम फैसले का इंतेजार करेंगे।।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...