आधा आधा पूरा जीवन।
तन परदेश में घर में मन।।
भीगी आँखे जायदाद बनाये।
भावुकता भगवान दिखाये।।
भीतर या बाहर से टूटे।
रिश्ते नाते घर बार छूटे।।
बिजली कौंधे तो आँख लगे।
न जाने हम हैं कब के जगे।।
दिल पर भारी चोट लगी।
महंगी पड़ गयी दिल की लगी।।
लिख कर ले लूँ तसल्ली।
मेहबूब तो चली अपनी गली।।
इस कविता पर राजन कुमार झा का सर्वाधिकार है। उनके पूर्वानुमति के बिना कविता के किसी भी पंक्ति को उद्धृत किये जाने पर कड़ी क़ानूनी कार्र्यवायी होगी।
दिल पर भारी चोट लगी।
जवाब देंहटाएंमहंगी पड़ गयी दिल की लगी।।
वाह...बहुत बढियां भैया जी
धन्यवाद
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