सोमवार, 9 जनवरी 2017

फतवा जारी...

आजकल फतवे की चर्चा आम हो रही है। फतवे का मतलब लोगो को समझाया जा रहा है, जैसे आजतक लोग सिर्फ इस शब्द का प्रयोग  करते थे बिना अर्थ जाने। जितने इमाम जितने मौलवी उतनी परिभाषाएं। वैसे आजकल जिस बात को लेकर बवाल मचा हुआ है वह काफी दुर्भाग्य पूर्ण है और वक़्त रहते न संभाला गया तो भयंकर मार काट का सूचक है।
इस तरह की बाते माइक पर चमकते फ़्लैश लाइट और बड़े बड़े कैमरों के आगे पहली बार नहीं बोली गयी। अक्सर आपने सुना होगा इसको जूते मारने वाले को इतने रुपये का इनाम मिलेगा, उसको वो करने वाले को उतने रुपये का.... हिन्दुओ की तरफ से हो तो घोषणा और मुसलमानों के तरफ से हो तो अमूमन इसे फतवा कहा जाता है। अब असल में फतवा क्या होता है वो आप ही जाने और वो ही जाने मुझे नहीं जानना। मेरे पास इतना वक़्त नहीं है। क्योकि मुझे कुछ और जानना है। मुझे जानना है कि ये जो घोषणा करने वाले हैं, ये जो फतवा जारी करने वाले हैं ये इतने बुज़दिल क्यों हैं? ये जो इनामी राशि घोषित करते हैं इसकी क्या जरूरत है खुद ही कर डालो पैसे भी बचा लो। इससे बढ़िया सौदा तो फ्लिपकार्ट पर भी नहीं होगा। समझिये ये खुद कुछ नहीं करते ये दुसरो को चढ़ा बढ़ा कर समाज में अशांति फैलाने का काम करते हैं। खुद अपने महल में छिप कर तमाशा देखते है और उनके अंध भक्त रास्तो पर तलवार लिए फिरते हैं।
ताज़ा मामला कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्ज़िद के इमाम सैयद मोहम्मद नूर रहमान बरकती का है जो त्रिमूल कांग्रेस के सांसद के साथ संयुक्त प्रेसकांफ्रेंस कर रहा था। बैनर था आल इंडिया मजलिसे शूरा और आल इंडिया माइनॉरिटी फोरम । बैनर का नाम लेना इसलिए जरूरी था क्योंकि दोनों संस्थाओं के नाम में आल इंडिया का इस्तेमाल किया गया है। इसी प्रेसवार्ता में आल इंडिया के प्रधानमंत्री के खिलाफ फतवा जारी होता है। उनके बारे में कहा जाता है कि प्रधान मंत्री के सर मुंडवा के मुंह पर कालिख पोतने वाले बहादुर को 25 लाख का इनाम दिया जायेगा। मतलब आप खुद बहादुर नहीं हैं, इसलिए किसी बहादुर की तलाश कर रहे हैं। तो आपसे कहना चाहूंगा कि कमजोर लोगो को अपनी औकाद में ही बात करनी चाहिए, किसी भक्त का एक शुद्ध थप्पड़ पड़ जाये तो आपके एक कान का मैल दूसरे कान से  बाहर निकलेगा। बातें कर रहे हैं बड़ी बड़ी। आपके इन बातों का खामियाजा पूरे कम्युनिटी को भुगतना पड़ सकता है, इसका ख्याल करते नहीं है।
बंगाल के ही भाजपा के एक स्थानीय नेता हैं माणिक सरकार। उनका बयान आता है कि बरकती का सर कलम कर माँ काली को चढाने वाले को 1 करोड़ का इनाम देंगे। उनसे पूछना चाहूंगा कि आपको यदि इतना ही बुरा लगा तो आप स्वयं क्यों नहीं गए सर कलम करने। आप भी दूसरे बहादुर की तलाश कर रहे हैं। ये क्या हो गया है नेताओं और धर्मगुरुओ को किसकी भाषा बोल रहे हैं ये? इसतरह देश तरक्की करेगा क्या?
मानते है, अलग अलग लोग है तो अलग अलग विचार होंगे। वैचारिक मतभेद समझ सकते हैं। लेकिन आप समझिये की अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस देश के सर्वोच्च पद पर विद्दमान हैं। उनकी गरिमा राष्ट्र की गरिमा है। उनका अनादर राष्ट्र का अनादर है। ऐसे लोगो को देशद्रोह के चार्जेज लगा कर उन्ही की भाषा में सजा का प्रावधान हो। यदि इन लोगो को इसी तरह बक्श दिया गया तो ध्यान रहे.... देश में भयंकर मार काट होगा। विध्वंसक दंगे होंगे। सावधान।।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...