मंगलवार, 15 जून 2021

जय श्री राम से लेकर राम मंदिर तक को बदनाम करने की कोशिश



 पूरे विश्व में ऐसा देश आपको नहीं मिलेगा जहां के अल्पसंख्यक और 1 मुट्ठी वामी मिलकर बहुसंख्यकों को लगातार निशाना बनायें. भारत में बहुसंख्यकों को बदनाम करने के लिए झूठ और दुष्प्रचार का सहारा लिया जाना नई बात नहीं है.  पिटाई का वीडियो बाहर आते ही धर्म देखकर बातें गढ़ी जाती हैं.  एक चोर शांतिप्रिय समुदाय का होनहार बालक बन जाता है.  एक  सीना ठोक कर गौ की हत्याकरने वाला बेचारा बन जाता है. जादू टोना के नाम पर बलात्कार करने वाला तांत्रिक व बाबा व साधु कहलाने लगता है बलात्कारी अलंकार के साथ....  

देखते ही देखते इस तरह की ख़बरें देश और विदेशों तक भ्रमण कर आती हैं, तब पता चलता है कि एक होनहार लड़का जिसको बहुसंख्यकों ने लात जूतो से पीटा था वह तो एक चोर था. एक लाचार बुजुर्ग को जय श्रीराम न कहने की वजह से नहीं बल्कि ताबीज़ देने को लेकर पीटा गया था.  मारपीट करने वाले लोग हिदू नहीं थे आरिफ, आदिल और मुशाहिद थे. 

अब आप कुछ नाम नोट कर लीजिए मोहम्मद जुबैर, , राणा अयूब, सलमान निजामी, सबा नकवी, सबा मोहम्मद और मक़सूर उस्मानी  यह वो ज़हरीले तत्व है जो इस देश के बहुसंख्यकों पर पहले हमला बोलते हैं और पकड़े जाने पर विक्टिम कार्ड व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  वाला कार्ड खेलते हैं.  मीडिया पोर्टल ‘द वायर’ भी इसमें शामिल हैं. इस वेबसाइट पर देश के बारे में एक भी अच्छी खबर आपको नहीं मिलेगी.  

इन सबको बल मिलता है लिबरल हिंदुओं से जो हर युग में रहे हैं... विपक्ष के ज्यादातर नेता इसमें शामिल हैं उदाहरण के लिए मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, लालु यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल  लंबी फौज है इसी क्रम में आप समझ जायें . कुछ फिल्मी दुनियां में हैं जैसे स्वरा भास्कर,  अनुराग कश्यप इत्यादि...  

इन सब को विचारधारा के दक्षिणपंथ से इतना द्वेश नहीं  है जितना राम का नाम लेने वालों से...  इसलिए जदय श्री राम को बदनाम किया जाता है.. राम मंदिर को बदनाम किया जाता है.  

एक नेता है जो कभी टिकट वगेरा ब्लैक किया करता था सिनेमा हॉल के सामने उसने प्रेस कान्फ्रेंस कर अयोध्या में बनाये जा रहे राममंदिर के लिए अतिरिक्त जमीन की खरीदी पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जमीन की खरीदी में करोड़ों की हेराफेरी की है.  कहा गया है कि  पंद्रह मिनट में जमीन की कीमत दो करोड़ से अट्ठारह करोड़ हो गई.

आरोप लगते ही एंटी हिंदू (एंटी बहुसंख्यक) इकोसिस्टम एक्टिव हो गया.   इस इकोसिस्टम को पता है कि यह आरोप टिकने वाला नहीं है पर उसका उद्देश्य अनायास एक लड़ाई खड़ी कर देना है. उद्देश्य यही है कि आरोप लगाकर हिन्दुओं के मन में ट्रस्ट के विरुद्ध एक संदेह पैदा कर दिया जाए. जिन आस्थावान हिन्दुओं ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी तरफ से अंशदान किया है उनके मन में संदेह पैदा कर दिया जाय.

आप ही सोचिये कल तक जो लोग राम को ही काल्पनिक बताते थे आज उनके मंदिर को लेकर इतनी आस्था क्यों प्रकट हो गई? राम मंदिर की जगह अस्पताल बनाने की मांग करने वालों को तथाकथित घोटाले से इतनी परेशानी क्यों हो रही है? राम भक्तों के खून से धरती को रंगने वाले सपा  पार्टी के नेताओं को अचानक राम के प्रति आस्था जागृत हो गई?

प्रश्न यह नहीं है कि किसने यह आरोप लगाए हैं. आम आदमी पार्टी ने शुरुआत की है पर उसे आगे ले जाने के लिए सपा, कांग्रेस, मीडिया, पत्रकार, एजेंडाकार, परजीवी, आंदोलनजीवी लगभग सब आ गए हैं. यह शोर जो शुरू हुआ है, यह तब तक चलेगा जब तक  हिंदुओं के प्रति नफरत और प्रोपगेंडा फैलाने के लिए कोई दूसरा मुद्दा न मिल जाए.  

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...