जनमी एक गरीब अंगना, टोकरी का था बना पलना.
सूखा-रुखा जो था खाया, लाड़ प्यार से भूख मिटाया...
बड़ी हुई ले बड़ा सपना... साहेब होगा मेरा सजना...
राज कुमार संग ब्याही जाऊं,बनारसी पहन कर खूब इतराऊं...
गरीबी ही वहां भी झलकी, उतरी जहां थी मेरी पालकी.पर,
किसी से नहीं था कोई गिला ,जीवन का सच्चा साथी जो मिला..
श्री के बिना संसार में मिलता कहां सम्मान?
बातें भले आदर्श की करता रह जाए ज्ञान.
अर्थ के अभाव में, धूप कभी छांव में..
बढ़ते गए जीवन में... कई आस लिए मन में ...
घर में कभी वन में प्रियतम के संग में
कटती रही जिंदगी नई-नई उमंग में...
खुद कहीं जाओ कुछ भी करो.. हेडेक कम रहता है लेकिन बच्चा होने के बाद परेशानियां बढ़ जाती हैं...दरअसल बच्चे को लेकर चिंता बढ़ जाती है औऱ अभाव के समय में जो होता है उन्हें इन पक्तियों से महशूस कीजिएगा...
बिजली चमके बादल गरजे, घर में पानी झमाझम बरसे
अंधियारी रातों में जब हम सोने को बिस्तर को तरसे...
खुद न सोई लल्ला को सुलाया,रातों को है जाग कर बिताया...
खुद न खाई लल्ला को खिलाया, लल्ला की हंसी से दिल बहलाया.
सावन भादो बाढ़ का महीना,बारिश में भी छूटे पसीना.
आंगन में जल घर में भी जल, जल मग्न जलाशय स्थल भी जल.
फिरे लल्ला को समेट अंचरा, बड़ी मुश्किल से मिला असरा.
पढ़े लिखे बस लल्ला मेरा, बड़ा साहेब बन जाए लल्ला मेरा...
कम न पड़े मेरे लाल के तेवर, बेच दिए सब गहना जेवर..
कर लाख जतन लल्ला को पढ़ाया, पलकों पर फिर सपना सजाया ...
लाल मेरा अब बड़ा हुआ, अपने पांव पर खड़ा हुआ...
इस डगर गया उस डगर गया, मन भाया जहां उस नगर गया.
रास्ता देखे बूढी मां... कब आएगा लल्ला मेरा....
अब समय कहां- अब समय कहां...
न लल्ला के पास समय है... काम से फुर्सत नहीं और न मां के पास समय है... बूढ़ी हो गई पता न कब बुलावा आ जाए.. सारे कष्ट सह कर जिस जतन से बच्चे को बड़ा बनाया कुछ तो सुख हो जाए...
जीवन का एक और रंग या पहलू देखिए...
रास्ता देखे बूढी मां... कब आएगा लल्ला मेरा...
अब समय कहां- अब समय कहां...
हाथों में हाथ दोबारा दे,
डगमगाते हैं कदम सहारा दे.
चिथड़ों से झुर्रियां निहार रहीं...
हड्डियों में रही न जान वही...
फूट गया है मेरा चश्मा... ला लल्ला कुछ रौशनी ला...
रास्ता देखे तेरी बूढी मां.. अब समय कहां
साथ बैठ कर मेरी सुन, अपनी भी सुना...
याद कर वो अथक परिश्रम याद कर वो वेदना.
जीवन मेरा अब बचा कितना... फिर जाना जहां हो चले जाना...
पहले लल्ला एक घर बनवा, रास्ता देखे बूढ़ी मां ...
अब समय कहां... अब समय कहां...
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