सोमवार, 2 मई 2022

कोल्ड ड्रिंक

 
कोल्ड ड्रिंक पीने से हमें अनेकों नुकसान होते हैं. वैसे नुकसान तो शराब, सिगरेट और तंबाकू के सेवन से भी होता है परंतु लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो कोल्ड ड्रिंक से होने वाले नुकसान को नजरअंदाज करना क्षम्य अपराध की श्रेणी में गिना जाना चाहिए.
जिस पृष्ठभूमि से मैं आता हूं. वहां कोल्ड ड्रिंक हाई क्लास सोसाइटी की चीज मानी जाती है.बात 2000-2002 के आस पास की है. बंगाल के छोटे से टाउन अलीपुरद्वार में रहना होता था. मेरी उम्र कोई 7-8 साल रही होगी, कोल्ड ड्रिंक छू भर लेना मेरे लिए रोमांच से भर देने वाला था. पिताजी के यजमान के लाडले के जन्मदिन के अवसर पर हमें भी बुलाया गया था.मुख्य आयोजन शुरू हो रहा था, केक कटने से पहले रक्षा विधान कर तिलक लगाया गया... मंत्रोच्चार के बीच पिताजी ने बर्थ डे बॉय को आशीर्वाद दिया. पिताजी अपने ग्रुप में चले गए और मैं अपने यानी बच्चों के ग्रुप में... बर्थडे पार्टी में परोसे गए पकवान एक तरफ और ट्रे में आती कोल्ड ड्रिंक की शीशी के भितर से छूटते बुलबुले दूसरी तरफ. यह पहला मौका था जब टेलीविजन और दुकानों के भितर सजी बोतलों के बाहर इतने पास से मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल देखी थी... खुली हुई बोतल जिसमें एक प्लास्टिक की पतली पाइप ( स्ट्रॉ ,उस वक्त पता नहीं था इसे क्या कहते हैं ) हिचकोले खाती इस शीतल पेय पदार्थ की शोभा बढ़ा रही थी. मुझे लगा शायद आज इस बला को मैं मुंह से लगाउंगा भी और चूमूंगा भी. कई बार अगल-बगल से कोल्ड ड्रिंक की बोतलें गुज़री काली वाली, पीली वाली और संतरे के रंग वाली... सोचता कि सभी के स्वाद का अंदाज़ा तो नहीं लग पाएगा यदि मुझे मिला भी तो एक ही बोतल मिलेगा. समय बीत रहा था, कोल्ड ड्रिंक प्राप्त होने की संभावना भी कम होती जा रही थी. जब कोल्ड ड्रिंक मिलने की संभावना ख़त्म होने लगी तो उदास मन को धीरज बंधाने लगा. जिसे मैं जानता तक नहीं, उसके यहां दावत उड़ाने पहुंच गया था यही बहुत बड़ी बात थी. इतने बड़े-बड़े लोग आए हैं, हर किसी के बगल से गुज़रने के बाद अलग सी सुगंध आ रही है. कहां रहते होंगे ये लोग कहां से आते होंगे इनके कपड़े तो देखो मानो अभी-अभी दुकान से लेकर आए हों... इन सब से बचे तब तो मुझे मिले. घर के नौकर ने एक बच्चे को काली वाली बोतल थमा दी, उस बच्चे ने पाइप से एक बार खींचा और खांसने व छींकने लगा. बस फिर क्या कई गणमान्यों ने बिचारे की क्लास लगा दी. बच्चों को क्यों कोल्ड्र ड्रिंक दे रहे हो... मेरी रही सही उम्मीद भी खत्म... खीर पूरी और चना आलू की सब्जी पर फोकस करना ही उचित समझा. मजा तो तब आया जब भोजन करते हुए किसी ने मुझे पहचान लिया, अरे आ तो पंडित जी को छोरो है... कहते हुए उन सज्जन ने रसगुल्ला और गुलाब जामुन थाली में परोस दिया. अब कोल्ड ड्रिंक न पी पाने की उदासी थोड़ी कम हो गई. साथ ही एक नई आशा ने जन्म लिया, शायद यह आदमी जो मुझे जानता है कोल्ड ड्रिंक भी ला कर दे... नहीं... बड़ों की चीज मुझे नहीं मिलेगी, तो क्या हुआ यदि मैं पंडित जी का लड़का हूं.. हूं तो बच्चा ही... खाना समाप्त हुआ. कोल्ड ड्रिंक नहीं मिली... अच्छा हुआ नहीं मिली कहीं मैं भी छींकने खांसने लगता तो , बड़ा अपमान होता... महीनों बीत गए, अब तो यह भी स्मरण नहीं रहा कि कोल्ड ड्रिंक न मिल पाने का मन में कोई खेद रह गया था.अलीपुरद्वार हिंदी हाई स्कूल Alipurduar Hindi Madhyamik Vidyalaya (H.S.) जहां मैं पढ़ाई किया करता था, गर्मी की छुट्टियां शुरु होने वाली थीं. छुट्टियां शुरु होने से पहले क्लास के आखिरी दिन बच्चे अपने क्लास टीचर को छोटी सी पार्टी देते थे. क्लास को साफ किया जाता, सजाया जाता और खाने पीने की सामग्री खरीदी जाती. यह प्रथा किसने कब शुरू की पता नहीं हम तो बस अपने अग्रजों का अनुसरण कर रहे थे. लिस्ट बना, नाश्ते के लिए समोसे, जिलेबी और कोल्ड ड्रिंक मंगाया जाएगा. कक्षा में 90-100 बच्चे थे. 90 प्रतिशत बच्चे मेरी कैटेगरी में थे और बाकी ठीक-ठाक परिवार से आते थे. यही 10 प्रतिशत बच्चे सभी तरह के आयोजनों को प्रायोजित करते थे. आर्थिक कारणों से समोसा और जलेबी के लिए तो बजट का आवंटन हुआ लेकिन कोल्ड ड्रिंक रद्द कर देना पड़ा.इतने सारे बच्चों के लिए कोल्ड ड्रिंक खरीदना बजट के बाहर जा रहा था. तय हुआ कि मास्टर साहब के लिए 10 रु. वाली शीशी ले ली जाएगी. पांडे जी हमारे क्लास टीचर थे और उन्होंने बिना चुनाव करवाए मुझे क्लास का मॉनिटर नियुक्त किया था. हाजरी लगाने के बाद उन्होंने मुझे बुलाया और मुझसे पूछा कि इस आयोजन से पहले क्या तुमने हमारी सहमति ली? मैंने कोई उत्तर नहीं दिया, उन्होंने डांटकर पूछा क्या तुमने अनुमति ली ? और उठने लगे... उनके टेबल पर सज़ा कर रखी गई जिलेबी, समोसे और कोल्ड ड्रिंक का अपमान हो रहा था. समोसे जलेबी से बढ़कर मुझसे कोल्ड ड्रिंक का अपमान नहीं देखा जा रहा था. मैंने उत्तर दिया सर नहीं, उन्होंने प्रेम से कहा लेना चाहिए था कि नहीं, मैंने नज़रें नीची कर के उत्तर दिया... "जी" पांडे सर ने मुझे पास बुलाया और कहा अच्छा लड़का है... उन्होंने समोसा उठाकर मुझे दे दिया .. ले... खा... मैंने संकोच किया परंतु उनकी डांट के भय से हाथ आगे बढ़ा दिया... सर देखते-देखते सारी कोल्ड ड्रिंक गटक गए.. जलेबी सजा प्लेट उठाकर चल दिए... मैं सोच रहा था, सर को यदि मुझे कुछ देना ही था तो कोल्डड्रिंक दे देते, समोसा खुद खा लेते...! इस तरह का आयोजन हमारे स्कूल के हर कक्षा में हो रहा था. भैया लोग यानी 11 वीं 12 वीं की कक्षा में भी... भैया लोगों के सामने वैसी आर्थिक कठिनाईयां नहीं थी जैसी हम बच्चों के सामने में थी. सो उन्होंने कोल्डड्रिंक की शीशी वाली नहीं प्लास्टिक वाली बड़ी बोतल मंगाई थी... वो भी कई सारी... बरामदे से मेरी नजर पड़ी कुछ बच्चों के समूह पर जो एक भैया के पीछे भागे जा रहे थे... भैया के हाथ में संतरे के रंग वाली कोल्ड ड्रिंक की बोतल थी... वो कोल्डड्रिंक लेकर भागे जा रहे थे ठीक उसी तरह जैसे समुद्र मंथन के बाद अमृत कलश लेकर धनवंतरी जी भाग रहे थे... देवता और राक्षस उनके पीछे ...। भैया कहीं ठहरते और 2-4 बच्चों के मुंह में ऊपर से वह दुर्लभ शीतल पेय डाल देते. जिनके मुंह में वह पड़ता निहाल हो जाता. बाकी के बच्चे इस आशा में भैया के पीछे भागते कि अगला नंबर उन्हीं का लगेगा. मैं भी बरामदे से कूदा और अनायास कोल्ड ड्रिंक पिला रहे भैया की तरफ भागा... झुंड में मुंह बाए होड़ करने लगा... आखिर वह क्षण आ ही गया जब कोल्डड्रिंक की बोतल से छलकती हुई कुछ बुंदे मेरी मुंह में गिरी... शीतल... हल्की मिठास लिए...अलग तरह के स्वाद के साथ अमृत समान उन बूँदो को मैंने पूरे जीभ पर फैला दिया... सभी रंध्रों में यह स्वाद कैद हो जानी चाहिए. आज भी कई लोग मुझसे पूछते हैं आप हमेशा ऑरेंज कलर वाली कोल्ड ड्रिंक क्यों लेते हैं? मेरा जवाब- क्योंकि इसका एक-एक बूंद मुझे एक विजेता होने का एहसास कराता रहता है. हो सकता है यह मुझे नुकसान पहुंचा रहा हो लेकिन आज भी इसे पीते हुए मेरे मस्तिष्क में सारी स्मृतियां नाचने लगती हैं. एक-एक घूंट मुझे आज भी प्रफुल्लित कर देता है.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...