रविवार, 18 दिसंबर 2022

भारत फीफा क्यों नहीं खेल सकता ?

 हम अर्जेंटीना और फ्रांस के बीच फीफा वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला देख रहे थे। कभी मेस्सी के गोल पर तालियाँ पीटना तो कभी एम्बाप्पे की फुर्ती पर। एक रोमांचक मुकाबले में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हरा दिया। खुशी से उछल पड़ने का मन किया लेकिन हुआ नहीं। जब तक अर्जेंटीना बढ़त बनाए हुए था तब तक मैं अर्जेंटीना को सपोर्ट कर रहा था। फिर जब मैंने स्टेडियम में मैक्रों को देखा तो फ्रांस के जीतने की कामना करने लगा। फिर फ्रांस ने बराबरी कर ली। एक तरफा हार की तरफ बढ़ते मैच में एक के बाद एक 2 गोल दाग कर फ्रांस ने जान डाल दी। पूरा स्टेडियम मानो रोमांच से भर चुका था। अब मैं भी फ्रांस का तरफदार था लेकिन फिर भी खुशी के उस भाव से नहीं उछल सका जिस भाव से साल 2011 के क्रिकेट वर्ल्डकप के फाइनल मुकाबले के बाद उछला था।

सवाल है क्यों? 



जवाब है क्योंकि अपनी मातृभूमि अपनी ही होती है। क्योंकि न तो कोई आपसे माँ से स्नेह कर सकता है न आप किसी को माता का स्थान दे सकते हैं। माँ तो माँ होती है। भारत माँ भी माँ है। मैं कैसे उछलता मैं क्यों पटाखें जलाता? मैं क्यों नाचता?

हम तो वर्ल्ड कप खेले ही नहीं। हम आर्थिक रुप से दुनिया के अग्रणी देशों में हैं। हम सामरिक दृष्टि से श्रेष्ठ हैं। क्षेत्रफल में भी टॉप 07 में शामिल हैं। जनसंख्या की दृष्टि से नंबर 2 हैं। जल्दी ही नंबर एक होने वाले हैं। इतने लोगों के बावजूद इतने बड़े देश से हम फुटबॉल खेलने वाले 11 लोग तैयार नहीं कर पा रहे हैं क्यों? 

क्यों हम बीसीसीआई की तरह फुटबॉल का एक कंट्रोल बोर्ड नहीं बना पा रहे हैं? 

देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है यह मैं चैलेंज के साथ कह सकता हूँ। कमी है तो बस प्रतिभा को अवसर देने की। हमें फुटबॉल को प्रोमोट करना होगा। मोहनबागान तक सीमित रह कर हम फीफा नहीं खेल सकते। हमें देश में 11 बाइचुंग भूटिया चाहिए। इसके लिए मेहनत करनी होगी खर्च करने होंगे। बीसीसीआई से पैसा लीजिए सिर्फ रुपए कमा रहे हैं टूर्नामेंट नहीं जीत पा रहे। भारतीय क्रिकेटर जो एड फिल्मों के जरिए करोड़ों कमा रहे हैं उनसे पैसे लीजिए और फुटबॉल के खिलाड़ी तलाशिये, नहीं मिल रहे तो पैदा कीजिए। तय कीजिए कि अगला फीफा हमें खेलना है। हम नहीं कह रहे कि कप लाकर रख दीजिए लेकिन खेलिये तो सही। 

क्रिकेट को तो बर्बाद कर चुके हैं। हर दिन कहीं न कहीं मैच हो रहा होता है एक टूर्नामेंट हारते हैं तो किसी देश में पहुँच जाते हैं। आईपीएल के रुप में अलग पैसे का खेल चल रहा है। क्रिकेट खत्म हो चुका है। अब मन नहीं होता देखने का। अति सर्वत्र वर्जयेत। भारत फीफा क्यों नहीं खेल सकता यह सवाल मन में दोहराते जाईये फिर देखिये भारत कैसे फीफा नहीं खेलता।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...