शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

मेरे गांव का बचपन

 गांव में बीता मेरा बचपन

हरे पेड़ो ने देखा मेरा लड़कपन                               टेस्ट


खेत खलिहान... बाज़ार के पकवान

नदिया  का तट.. कुएं का पनघट.. 


बगीचे का फल.. लहलहाती फसल

 मासूम सी मस्ती..बागों की गस्ती..




जमकर खाई... दूध मलाई 

नीला गगन... खेल में मगन

जमाना सस्ता .. कच्चा रस्ता... 


किनारे झाड़ी.. बैलगाड़ी

टमटम की सवारी... 



गांव का मेला, समोसे का ठेला

अब तक नहीं भूला.. सावन का झूला

    

गांव में बच्चे नहीं रहे 

बच्चों में बचपन नहीं रहा...  




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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...