बुधवार, 28 सितंबर 2016

हां, आज मैं उदास हूं।



हां, आज मैं उदास हूं।

न वो चाहते मुझे, न खुद को हीं मैं रास हूं।
उनको भी न मिल सका, न मैं खुद के पास हूं।
रुक पड़ी न चल रही, मैं तो वो सांस हूं।
हर क्षण जो मर रहा, मैं वही विश्वास हूं, हां आज  मैं उदास हूं।।


 खुली हुई नयन से अब नीर का प्रवाह है।
बेसुध पड़ा ये सोंचता..आगे कहीं क्या राह है?
न मौत की फिकर मुझे न जिंदगी की चाह है।
क्या मैं जिंदा लास हूं ? हां, आज मैं उदास हूं।

टूट कर बिखर रहे जो ख्वाब थे मेरे पले,
मौत को पुकारता की साथ में लिए चले।
रोज शाम दिन ढ़ले,यम के दूत मिले गले।
काल का मैं ग्रास हूं, हां, आज मैं उदास हूं।

पराजित नहीं हुए कभी जान थी जब जान में,
जो प्रसन्न  अडिग खड़ा था कभी तूफान में।
खड़ा रहा बिना डरे कमी न की आन में।
मैं हीं उसका नाश हूं.. हां,आज मैं उदास हूं।

 - राजन कुमार झा

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...