गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

तीन तलाक़

तीन तलाक को समाप्त किये जाने की बहस बेहद रोचक दौर में है। जहाँ शिया पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार के साथ खड़ी है और तीन तलाक को बैन कर देना चाहती है। शायरा बानो समेत कई लोगों की तरफ से दायर पिटीशन में मुस्लिमों में जारी इन प्रथाओं को ख़त्म किये जाने की मांग की गयी है। वहीँ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ओवैसी जैसे लोग भी हैं जो केंद्र पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और उनसे छेड़ छाड़ का आरोप लगा रहे हैं।
जहाँ तक बात केंद्र सरकार की है तो भाजपा न जाने कब से यूनिफार्म सिविल कोड की वकालत कर रही है।
तीन बार तलाक कहना और उस महिला से हमेशा के लिए सम्बन्ध तोड़ लेना यह महिलाओं के गरिमा के खिलाफ है। संच तो आज यह है कि कई मुस्लिम देशों ने इस प्रकार के कानून में बड़े बदलाव किये हैं। लैंगिक भेद भाव ख़त्म करने के लिए देश में यूनिफार्म सिविल कोड का होना जरुरी है। हम महिलाओं को उनके क़ानूनी अधिकार देने से सिर्फ इसलिए इंकार नहीं कर सकते क्योकि कुछ लोगों को लगता है कि यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचायेगी। उन्हें ज्ञात होना चाहिए, हर धर्म में महिलाओं का सम्मान करना ही सिखाया जाता है। बदलते देश और ज़माने के साथ हमें भी अपडेट होने की जरुरत है। सबसे पहले जरुरत है इन कुप्रथाओं से मुक्ति की। जरूरत है महिलाओं को बराबर का हक़ देने की।  एक देश में एक कानून के धागे में सबको पिरोने की बात करना मुल्क को तोड़ने वाला नहीं बल्कि समृद्ध करने वाला है।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...