शनिवार, 5 नवंबर 2016

बेगाने अपने या अपने बेगाने?

मैं मेट्रो में रहता हूं। पतली कमाई करता हूं मोटी खर्च करता हूं। भाड़े का हीं सही फिर भी मोटर में घुमता हूं। मेरी संगत भी मेरी तरह के लोगों से है मेट्रो में रहने वाले, मोटर वाले, जम कर शराब पीने पिलाने वाले। पैसे कम पड़ जायें और क्रेडिट कार्ड वाले का फोन आने लगे तो उनके बाबुजी 2-4 लाख ट्रांस्फर कर देते हैं। ऐसी संगत है मेरी, हालांकी मेरे परिवार की हैसियत उतनी नहीं है लेकिन अपने दोस्तों से कैसे कह दूं? मेरा रेपोटेसन् खराब हो जायेगा। दोस्तों के बीच रेपोटेसन् खराब नहीं होना चाहिए, जिंदगी खराब भले हो जाय। घरवालों का फर्ज था कर्ज ले कर पढ़ा लिखा देना, मेरा फर्ज है  दोस्तों के साथ पार्टी करना। कर्ज जिसने लिया वो समझे। मुझसे सवाल होगा तो बोलुंगा सबको अपनी लाईफ में डिसीजन लेने का हक है, मैने किसी का क्या बिगाड़ा है मेरी हरकतों से आपको  दिक्कत है तो आपके लिए मर गया मैं। मेरी दुनियां मेरे मां बाप भाई सब मेरे मोटर और पब कल्चर वाले दोस्त हैं। आपने पढ़ा लिखा कर काबिल बना कर कोई एहसान नहीं किया अपना फर्ज निभाया है। मैं अपना फर्ज निभा रहा हूं। मुझे किसी की जरुरत नहीं है कौन किस हाल में है उसकी चिंता बाद में वो भी मूड के उपर है। कौन भूखा है किसने खाया मुझे क्या मैं तो ग्लास में ब्रांडी सजा रहा हूँ न...अभी मैं कमा रहा हूं इसलिए किसी की जरुरत नहीं है। मेरे दोस्त आजिवन हर घड़ी मेरा साथ देंगे दारु भी पिलायेंगे...और जब बेसुध हो जाउंगा मुझे कंधे का सहारा भी देंगे। कोई घर वाला साथ देने नहीं आता जब मैं पीकर गिरते पड़ते घर आता हूं, जब सोसाईटी और फ्लैट में नौटंकी करता हूं मेरे दोस्त साथ देते हैं। मुझे कड़वी बातें पसंद नहीं, किसी की क्यों सुनने लगा कोई कमा कर एक पैसा तो देता नहीं ज्ञान झाड़ने आ जाते हैं। मेरी लाईफ है भाई... एक हीं मां-बाप के संतान होने से क्या होता है ?  भाई हो कसाई हो मुझे दो बात कहने की हिम्मत कैसे हो गई किसी की.. गलती करुं सही करुं जो भी करुं। जो भी मेरे खिलाफ बोलेगा उसके लिए मैं मर चुका हूं। याद रखिये मैं मेट्रो में रहता हूं...
एक और बात कहना चाहता हूं कहीं पढ़ा हीं होगा नहीं पढ़ा तो पढ़ लिजिए... मुझे तो फर्क नहीं पड़ता आपको कहीं पड़ जाय..
रावन जबहिं बिभीषन त्यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा॥

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4 टिप्‍पणियां:

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...