आज के हज़ारो लाखो युवा किसी न किसी उलझन में उलझ रहे हैं, कभी कभी खुद को इस कदर उलझा हुआ पाते हैं कि सुलझने का रास्ता ही धुंधला प्रतीत होता है। जैसे उलझे हुए धागे को सुलझाने की जद्दोजहद जारी है लेकिन धागे का सिरा ही नहीं मिल रहा है। हमारे मध्यम वर्गीय परिवार में यह अधिक देखने को मिलती है। कारन यह है कि न हम खुद को अमीर कह पाते हैं न ही खुद को गरीब। ऐसे में कई मामले होते हैं जिनपर एक राय नहीं बन पाती है। करियर बनाने को लेकर एक अलग असमंजस की स्थिति देख पा रहा हूँ। एक अजीब सी दुविधा की स्थिति है..मन खुद से प्रश्न करता है कि क्या करूँ? दौलत भी कमानी है और शोहरत भी ...एक ही जीवन मिला है इसको भी ठीक से न जिया तो क्या किया फिर? प्रश्न तो कई बनते हैं उत्तर नही मिल पाता इन सब के बीच समय बीतता जाता है। बीतते समय के साथ नौजवान अपनी इक्षाओं की बलि चढ़ा समय के साथ समझौता कर बैठते हैं, खुद को सीमित कर लेते हैं। कइयों का हाल तो यह होता है कि उन्हें अपने जीवन से घृणा हो जाती है डिप्रेशन में अपने जीवन के सभी रंगों को खो कर श्याह होने लगते हैं, एक डरावने अंधकार में खुद को खोता हुआ पाते हैं और इस खूबसूरत सी ज़िन्दगी का बदसूरत अंत होते देखते हैं...लाचार, निराश, बेबस...
दोस्तों आपके लिए अपने छोटे से जीवन के कुछ अनुभव बाँटना चाहूंगा। शायद अभी उस लायक नहीं बना लेकिन मेरे वाक्यो से अगर किसी को सही दिशा मिल जाये तो कम से कम मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझूँगा।
सच तो यह है कि आप भी भाग्यशाली हैं हम सब भाग्यशाली हैं बस आज से यह मानना शुरू कर दीजिए। निराशाओं से भागिए नहीं न ही उनको आश्रय प्रदान कीजिये। यकीन मानिए आपका जन्म एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए हुआ है अपने उद्देश्य को बड़ा और छोटा आप खुद बनाएंगे। उद्देश्य तो उद्देश्य होता है क्या बड़ा क्या छोटा?
उद्देश्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का ब्रम्हास्त्र होता है। तो आप कहेंगे मेरा लक्ष्य क्या है यह भी मुझे नहीं पता एक उलझन यह भी है कि मेरा लक्ष्य क्या है, मैं अपना लक्ष्य निर्धारित कैसे करूँ? इस सवाल का जवाब भी दरअसल आप में ही छिपा है। कुछ को बचपन में ही अपने लक्ष्य का पता चल जाता है कि उन्हें क्या करना है और कुछ अपने लक्ष्य को देर तक देख नहीं पाते। उलझन दरअसल उन्ही को ज्यादा होती है जो सुलझे नहीं होते। पहले आप सुलझ जाइये आप कोई उलझन नहीं पाएंगे। आपका लक्ष्य जो आप कर रहे है उसी में छिपा है। शीशे से धूल पोछेंगे तो आपका चेहरा साफ दिखेगा। चमकता मुस्कुराता चेहरा। ढूंढ कर निकालिये की आप क्या सबसे अच्छा कर सकते हैं यह आपसे बेहतर कोई नहीं कर सकता क्योंकि आपको आपसे ज्यादा कोई नहीं जानता। जो आप सबसे बेहतर कर सकते हैं मेरे विचार से उसी को अपने जीवन का लक्ष्य चुनिए इससे आपका और आपसे जुड़े लोगो का कल्याण होगा। दुनिया बहुत रंगीन है यहाँ हर तरह के रंग है देखना यह है कि आप किस रंग में रंगे हैं? उस चकाचोंध से बाहर आकर खुद को चमकाईये। याद रखिए अँधेरे को दूर करने की क्षमता केवल सफ़ेद रौशनी में ही नहीं होती। आपके पास जो है वह आपके अँधेरे को दूर करने के लिए काफी है। अपने उस प्रकाशपुंज में विद्युत प्रवाहित कीजिये।
बड़े होते होते हमारे लक्ष्य बदल जाते हैं और कई बार बदलते हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि एक समय बाद हम इससे दूर भागने लगें। आप तबतक बदलिये जबतक आपको आपका लक्ष्य संतुष्ट न कर दे। निश्चय ही एक समय के बाद आपको आपका जवाब मिलता दिखेगा। जीवन के अंकगणित में कईबार जोर घटाव करते करते कब उत्तर मिल जाता है स्वयं को भी पता नहीं चलता। जोर-घटाओ, गुना-भाग करते रहिए। छोड़ के मत बैठिये उससे भागिये नही, उसे हल कीजिये।
एक समय यह भी आता है कि आप सोचते है छोडो यार समय आयेगा तो सब ठीक हो जायेगा। लेकिन मित्र समय कभी नहीं आता समय तो बस जाता है। समय को रोका नहीं जा सकता लेकिन उसके साथ तो चल ही सकते हैं।
इस लेख को लिखने का उद्देश्य यह बिलकुल नहीं है कि आपके बिच मैं विद्वान बनने की चेष्टा कर रहा हूँ वो मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं इस काबिल नहीं हूँ लेकिन अपने कुछ इष्ट जनो से बातें करते वक़्त मुझे एक प्रकार की निराशा हुई क्योकि वो निराश हैं। मैंने अपने संघर्ष से भरे जीवन में यही सीखा है कि संघर्ष हमें मजबूत बनाते हैं। आइये जीवन के इस संघर्ष से मुकाबला करे और अपने अपने क्षेत्र में अच्छा कर बूढी हो रही लालसा से भरी आँखों में चमक दें।
इस पोस्ट का पहला शीर्षक मैंने उलझती सुलझन रखा था लेकिन क्योकि मेरा उद्देश्य उलझनो को सुलझाना है इसलिए इसे बदल कर सुलझती उलझन कर दिया, यकीन है आप जरूर अपनी उलझने सुलझाकर उलझनो को उलझा देंगे।
Note - इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार राजन कुमार झा के पास हैं। बिना उनकी लिखित अनुमति के लेख के किसी भी हिस्से को उद्धृत नहीं किया जा सकता है। इस लेख के किसी भी हिस्से को अनधिकृत तरीके से उद्धृत किये जाने पर क़ानूनी कार्यवायी होगी।
Shukriya bhaiya...
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