रविवार, 29 अप्रैल 2018

क्योंकि दुश्मनों के साथ युद्धाभ्यास नहीं युद्ध होता है

क्या ऐसे समय में जब पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और कश्मीर में  लगातार शांति भंग करने की चेष्टा में है, हर दूसरे दिन पाकिस्तानी रेंजर्स भारतीय चौकियों और रिहायसी इलाकों को निशाना बना रहे हैं, क्या ऐसे समय में पाकिस्तान के साथ युद्धाभ्यास सही है? एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला है और वर्ष 2020 तक उसके पास 200 से अधिक परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री होगी।हम भले ही पड़ोसी हैं लेकिन इतना याद रखना चाहिए कि आये दिन पाकिस्तान के साथ अघोषित युद्ध जारी है। युद्धाभ्यास से सैनिकों को होने वाले फायदे शांति के लिए कम और आतंकवादियों के ट्रेनिंग के लिए ज्यादा इस्तेमाल किये जायेंगे। एक नहीं कई बार हमारे आर्मी की गोली से ढ़ेर हुए आतंकी के पास से अमेरिकन मेड हथियार मिले हैं जो पाकिस्तानी आर्मी इस्तेमाल करती है। स्वयं अमेरिका कहता है कि पाकिस्तान को आतंक से लड़ने के लिए जो सहायता राशि भेजी जाती है उसका इस्तेमाल आतंक के पोषण के लिए हो रहा है। युद्धाभ्यास मित्र राष्ट्रों के बीच ही हो तो उचित है। आतंकवाद पर लगाम लगाने के नाम पर भारत और पाकिस्तान साथ में सैन्य अभ्यास करने वाले हैं, आजादी के बाद यह पहला मौका है जब दोनों दुश्मन देश ऐसा करने वाले हैं। खबरों के अनुसार  रूस में सितंबर में होने वाले बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में पहली बार एक-दूसरे के धुर विरोधी भारत और पाकिस्तान हिस्सा लेंगे। आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के मकसद से आयोजित इस सैन्य अभ्यास में चीन और कई अन्य देश भी शामिल होंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह सैन्य अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रूपरेखा के तहत किया जाएगा। सुरक्षा समूह की इस संस्था पर चीन का प्रभुत्व है, जिसे अब नाटो की बराबरी कर सकने वाली संस्था के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह अभ्यास रूस के उराल पर्वत क्षेत्र पर आयोजित किया जाएगा और एससीओ के लगभग सभी सदस्य इसका हिस्सा बनेंगे। अधिकारियों ने बताया कि शांति मिशन के इस अभ्यास का मुख्य मकसद एससीओ के आठ सदस्य देशों के बीच आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाना है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले हफ्ते बीजिंग में एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के इस अभ्यास में भाग लेने की पुष्टि की। मेरा मानना है सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि दुश्मनों के साथ युद्धाभ्यास नहीं युद्ध होता है।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...