कर्नाटक का क्लाइमेक्स किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा... जहां यदुरप्पा के इस्तीफे के एलान तक राजनीतिक पंडितों तक को अंदाजा नहीं था कि बीजेपी पर 8 विधायकों का लक्ष्य इतना भारी पड़ेगा कि बिना बैटिंग किये ही येदुरप्पा हार मान लेंगे और पारी समाप्ती की घोषणा कर देंगे.... अब जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो दो धड़ो में बंटा मीडिया इसे भी अपने अपने हिसाब से एक्सप्लेन कर रहा है, कई लोग तो ये कह रहे हैं कि ये मोदी और शाह की कोई दूर की प्लानिंग है... दूर की प्लानिंग को जाने दीजिए नजदीक से देखेंगे तो पता चलेगा कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी हो कर भी फिलहाल विपक्ष में बैठने जा रही है..... यदुरप्पा एक बार फिर से अनलकी साबित हुए हैं... पता नहीं उनके हाथों में राजयोग है भी या नहीं क्योंकि कई बार सीएम बनने के बाद भी यदुरप्पा एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये हैं....वर्ष 2004 में राज्य में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बाद येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन सकते थे लेकिन कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की जेडीएस के गठजोड़ से यह संभव नहीं हो सका और तब राज्य की सरकार धरम सिंह के नेतृत्व में बनी.येदियुरप्पा ने कथित खनन घोटाला में लोकायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री धरम सिंह पर अभियोग लगाये जाने के बाद वर्ष 2006 में एचडी देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमारस्वामी के साथ हाथ मिलाया और धरम सिंह की सरकार गिरा दी...अब तय हुआ कि येदुरप्पा और कुमार स्वामी बारी 2 से मुख्यमंत्री बनेंगे....इस व्यवस्था के तहत कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने और येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि 20 महीने बाद जब येदुरप्पा की बारी आयी तो कुमार स्वामी ने सत्ता साझा करने के समझौते से इंकार कर दिया... जिसके चलते गठबंधन की यह सरकार भी गिर गई....वर्ष 2008 के चुनावों में लिंगायत समुदाय के दिग्गज नेता येदियुरप्पा के नेतृत्व में पार्टी ने जीत हासिल की और दक्षिण में पहली बार उनके नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी..लेकिन उनकी बद्किस्मती मानो उनका पीछा कर रही थी... येदियुरप्पा बेंगलुरु में जमीन आवंटन को लेकर अपने पुत्र के पक्ष में मुख्यमंत्री कार्यालय के कथित दुरुपयोग को लेकर विवादों में घिरे. अवैध खनन घोटाला मामले में लोकायुक्त ने उन पर अभियोग लगाया और उन को 31 जुलाई 2011 को इस्तीफा देना पड़ा. इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा से नाराज येदियुरप्पा ने पार्टी छोड़ दी और कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) का गठन किया. हालांकि में वे केजेपी को कर्नाटक की राजनीति में पहचान दिलाने में नाकाम रहे लेकिन साल 2013 के चुनावों में उन्होंने छह सीटें और दस फीसदी वोट हासिल कर भाजपा को सत्ता में आने भी नहीं दिया.....एक तरफ येदियुरप्पा अनिश्चित भविष्य के दौर से गुजर रहे थे तो वहीं भाजपा को भी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए एक ताकतवर चेहरे की जरूरत थी. इस तरह दोनों फिर से एक साथ आ गए... केजीपी का बीजेपी में विलय हो गया.. इसका नतीजा यह हुआ कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 में 19 सीटों पर जीत दर्ज की. अपने दामन पर भ्रष्टाचार के दाग के बावजूद भाजपा में येदियुरप्पा की प्रतिष्ठा और कद बढ़ता गया....26 अक्टूबर 2016 को उन्हें उस वक्त बड़ी राहत मिली जब सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें, उनके दोनों बेटों और दामाद को 40 करोड़ रुपये के अवैध खनन मामले में बरी कर दिया....
उनपर लगे भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों का भार कहें या किस्मत की बेवफायी... चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने येदुरप्पा को भ्रष्ट बताया था हालांकि बाद में उन्होंने अपनी गलती सुधार ली थी... ऐसी एक गलती सिद्धारमैया ने भी की थी.... खैर....कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे दलों के तंज को नजरअंदाज करते हुए भाजपा ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया.... और बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी.... उधर कांग्रेस ने जेडीएस को मुख्यमंत्री पद का ऑफर कर दिया और सरकार बनाने के लिए दावे पेश करने लगी.... अब दो ऐसी पार्टियां जिन्होंने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी थी एक हो गई थी... इधर राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीडजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय भी दिया... येदुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ भी ले ली.... इस पर कांग्रेस और जेडीएस कहां मानने वाले थे... उन्होंने जो गलती 2014 के बाद दूसरे राज्यों में दुहराई थी इस बार ऐसी चुक नहीं की गई... वे मुस्तैद रहे लड़ते रहे मामला सुप्रीम कोर्ट में गया.... कोर्ट ने येदुरप्पा को 15 दिन के बजाय 28 घंटे का वक्त दिया और फ्लोर टेस्ट को लाइव प्रसारित करने का निमंत्रण दिया.... अब वो समय आ चुका था जब येदुरप्पा को बहुमत साबित करना था... इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को कभी कहीं तो कभी कहीं बंद कर के कैद में रखा गया... भले रिसोर्ट हो या जेल.... सोने का पिंजरा भी तो पिंजरा ही होता है.... खैर फ्लोर टेस्ट होती उसके पहले ही येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर से येदुरप्पा की सरकार गिर गई इस बार येदुरप्पा मात्र 2 दिन ही सीएम रह सके......
लेकिन आज की सच्चाई अलग है आज कर्नाटक के स्वामी कुमार स्वामी हैं.... 2019 से पहले विपक्षी एकता के प्रदर्शन के बीच जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को कर्नाटक के 24वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली... गठबंधन सरकार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जी परमेश्वर ने भी डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली। शुक्रवार को होने वाले बहुमत परीक्षण के बाद मंत्रिमंडल में अन्य सदस्यों को शामिल किया जाएगा। ये हमारे लोकतंत्र की विडंबना है कि जिस व्यक्ति को जनता ने नकार दिया उसी ने वहां के सीएम पद की सपथ ली.. आप कहेंगे नकार कैसे दिया उन्होंने तो बहुमत साबित की.. कुछ लोग पहले बीजेपी और जनता दल के बारे में याद दिलायेंगे लेकिन यकीन मानिये आप कितने भी तर्क दें आपको ये मानना होगा कि जेडीएस ने 218 सीटों पर चुनाव लड़ा... आपको ये मानना होगा कि 147 सीटों पर जेडीएस का जमानत भी नहीं बच पाया... आपको मानना होगा तीन प्रमुखदलों में सबसे कम सीटें लेकर आय़ी थी जेडीएस.... कुमार स्वामी को सीएम बनाना होता तो जनता उन्हें बहुमत देती... न कि 3 नंबर की पार्टी बनाती... वैसे सीएम को बधाई उम्मीद है विपक्ष के साथ वहां की जनता भी खुश होगी...
https://youtu.be/SgcxWZ_YpLs
उनपर लगे भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों का भार कहें या किस्मत की बेवफायी... चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने येदुरप्पा को भ्रष्ट बताया था हालांकि बाद में उन्होंने अपनी गलती सुधार ली थी... ऐसी एक गलती सिद्धारमैया ने भी की थी.... खैर....कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे दलों के तंज को नजरअंदाज करते हुए भाजपा ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया.... और बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी.... उधर कांग्रेस ने जेडीएस को मुख्यमंत्री पद का ऑफर कर दिया और सरकार बनाने के लिए दावे पेश करने लगी.... अब दो ऐसी पार्टियां जिन्होंने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी थी एक हो गई थी... इधर राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीडजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय भी दिया... येदुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ भी ले ली.... इस पर कांग्रेस और जेडीएस कहां मानने वाले थे... उन्होंने जो गलती 2014 के बाद दूसरे राज्यों में दुहराई थी इस बार ऐसी चुक नहीं की गई... वे मुस्तैद रहे लड़ते रहे मामला सुप्रीम कोर्ट में गया.... कोर्ट ने येदुरप्पा को 15 दिन के बजाय 28 घंटे का वक्त दिया और फ्लोर टेस्ट को लाइव प्रसारित करने का निमंत्रण दिया.... अब वो समय आ चुका था जब येदुरप्पा को बहुमत साबित करना था... इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को कभी कहीं तो कभी कहीं बंद कर के कैद में रखा गया... भले रिसोर्ट हो या जेल.... सोने का पिंजरा भी तो पिंजरा ही होता है.... खैर फ्लोर टेस्ट होती उसके पहले ही येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर से येदुरप्पा की सरकार गिर गई इस बार येदुरप्पा मात्र 2 दिन ही सीएम रह सके......
लेकिन आज की सच्चाई अलग है आज कर्नाटक के स्वामी कुमार स्वामी हैं.... 2019 से पहले विपक्षी एकता के प्रदर्शन के बीच जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को कर्नाटक के 24वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली... गठबंधन सरकार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जी परमेश्वर ने भी डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली। शुक्रवार को होने वाले बहुमत परीक्षण के बाद मंत्रिमंडल में अन्य सदस्यों को शामिल किया जाएगा। ये हमारे लोकतंत्र की विडंबना है कि जिस व्यक्ति को जनता ने नकार दिया उसी ने वहां के सीएम पद की सपथ ली.. आप कहेंगे नकार कैसे दिया उन्होंने तो बहुमत साबित की.. कुछ लोग पहले बीजेपी और जनता दल के बारे में याद दिलायेंगे लेकिन यकीन मानिये आप कितने भी तर्क दें आपको ये मानना होगा कि जेडीएस ने 218 सीटों पर चुनाव लड़ा... आपको ये मानना होगा कि 147 सीटों पर जेडीएस का जमानत भी नहीं बच पाया... आपको मानना होगा तीन प्रमुखदलों में सबसे कम सीटें लेकर आय़ी थी जेडीएस.... कुमार स्वामी को सीएम बनाना होता तो जनता उन्हें बहुमत देती... न कि 3 नंबर की पार्टी बनाती... वैसे सीएम को बधाई उम्मीद है विपक्ष के साथ वहां की जनता भी खुश होगी...
https://youtu.be/SgcxWZ_YpLs
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