सोमवार, 18 जून 2018

दिल्ली का ड्रामा

           दिल्ली में बहुत जबर्दस्त ड्रामा चल रहा है। रेस थ्री छोड़कर न्यूज चैनल देखिए ज्यादा इंटरटेनिंग लगेगा। पहले हम सब माननीय मुख्यमंत्री केजरीवाल जी का पक्ष जानलेते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक आईएएस अफ़सर हड़ताल पर हैं, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार जन कल्याण की योजनाएं लागू नहीं कर पा रही है. इसलिए, उन्होंने प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल दोनों से गुहार लगाई है कि वो अफ़सरों की हड़ताल जल्द से जल्द ख़त्म कराएं और उन्हें काम पर लौटने का आदेश दें। इस बारे में उन्होंने दो दिन में दो चिठ्ठियां प्रधानमंत्री को लिखी हैं। जिसके मुताबिक आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं इस वजह से दिल्ली में विकास कार्य रुके हुए हैं। कई काम प्रभावित हैं।दिल्ली सरकार का आरोप है कि अफ़सर काम नहीं कर रहे हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि आईएएस ऑफिसरों पर भला काम न करने के आरोप क्यों लगाये जा रहे हैं। इसके दो कारण है एक तो ये कि वादे के मुताबिक केजरीवाल की सरकार काम नहीं कर पायी है। जनता को हिसाब भी तो देना है। झूठी कसमों वाली ये सरकार अभी से अपनी नाकामियां छिपाने के लिए बहाने तलाश कर रही है।
क्या आपको दिल्ली का थप्पड़ कांड याद है? मैं याद दिला देता हूँ। फ़रवरी की देर रात को दिल्ली के मुख्यमंत्री निवास पर एक बैठक बुलाई गई थी। दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के मुताबिक़ इस बैठक में मंत्रियों और आम आदमी पार्टी के विधायकों ने उनके साथ बदसलूकी की थी.
बल्कि हाथा पायी भी की गई थी। प्रत्यक्ष दर्शियों की मानें तो अंशुमन को आम आदमी के माननीय विधायकों ने थप्पड़ भी जड़ा था। इससे आईएएस ऑफिसर्स नाराज हो गए थे और केजरीवाल से माफी की मांग कर रहे हैं। केजरीवाल ने आज तक माफी नहीं मांगी है। इस घटना के बाद केजरीवाल और उनके सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी आईएएस ऑफिसर्स पर काम न करने के इल्जाम की ये दूसरी वजह है। दिल्ली सरकार के बेशर्म मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, गोपाल राय इत्यादी गणमान्य लोग एलजी ऑफिस पर धरने पर बैठ गए। अब इसके बाद हुआ यह कि न कोई मीडिया वाला कवर कर रहा न आम लोगों को दिलचस्पी। तो खुद को सुर्खियों में लाने के लिए इन्होंने वही करना शुरु किया जो कर के दिल्ली की गद्दी बैठे थे। आम भाषा में इसे नौटंकी कहते हैं। पहले सत्येन्द्र जैन बीमार हुए फिर सिसोदिया साहब। लेकिन जो बारहो महीने खांसते रहते हैं वो सबसे स्वस्थ्य निकले। खैर आप सोच रहे होंगे कि ये लोग एलजी ऑफिस पर ही क्यों धरने पर बैठे दरअसल केजरीवाल और उनके सहयोगी चाहते हैं कि एलजी और प्रधानमंत्री आईएएस ऑफिसर्स को काम पर लौटने की अनुमती दें जो हड़ताल पर हैं। इस बीच हुआ ये कि केजरीवाल जी एक ट्वीट करते हैं एक और झूठ.... 
रविवार सुबह अरविंद केजरीवाल  ने ट्वीट किया कि उनकी जगह एलजी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं लेकिन बाद में नीति आयोग के चीफ अमिताभ कांत ने साफ किया कि दिल्ली के एलजी नीति आयोग की मीटिंग में नहीं आए हैं। मतलब केजरीवाल की जानकारी गलत थी। खुद को मासूम दिखाने की कोशिश पकड़ी गई। झूठ की भी सीमा होती है। वैसे
कहानी में ट्वीस्ट तब आ गया जब आईएश ऑफिसर्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। अब देखिये दिल्ली का ड्रामा अपने पूरे रंग में था। आईएएस ऑफिसर्स ने बताया कि वे नियमित रुप से काम पर हैं कोई हड़ताल चल ही नहीं रही।अब आप भी थोड़ा हंस लीजिए... आईएएस अधिकारियों ने रविवार शाम को पत्रकारों से बात करते हुए किसी भी तरह की हड़ताल से इनकार किया और कहा कि दिल्ली सरकार को अपना रुख बदलने की जरूरत है।आईएएस अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे लोग राजनीति में शामिल नहीं हैं और तटस्थ हैं।उनका काम सरकार की नीतियों को लागू करना है। आईएएस ऑफिसर्स ने बताया कि 19 फरवरी के पहले भी अफसरों के साथ मंत्रियों और विधायकों की ओर से होने वाली बदतमीज़ी की शिकायत सामने आती थीं. लेकिन उस रात सभी हदें पार हो गई थी. हमारी एसोसिएशन के अधिकारी उस घटना से आहत है. हर दिन लंच ब्रेक में हम मौन रखकर अपना विरोध भी ज़ाहिर करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि हम काम नहीं कर रहे हैं."अपने दावों को पुष्ट करने के लिए वो तथ्य भी पेश करते हैं। उनके मुताबिक़ दिल्ली सरकार ने बजट सत्र का भी आयोजन किया और बजट भी पेश किया. ये साफ़ बताता है कि हम काम पर हैं। ऐसा ऑफिसर्स का कहना है।
इन ऑफिसर्स ने केजरीवाल को आईना दिखाते हुए कहा कि अंशुमन प्रकाश के साथ हए बदसलूकी के बाद वे डरे हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से कथित मारपीट के बाद हम सब डरे हुए हैं और दिल्ली सरकार ने हमारा भरोसा बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया। न माफी मांगी न आश्वासन ही दिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा।
असल में जिन्हें धरना देना चाहिए वो काम पर हैं और जिन्हें काम पर होना चाहिए वो धरने पर हैं, और लदा लदा कर अस्पताल जा रहे हैं टीवी वाले और प्रिंट मीडिया वालों से फोंटो खीचवा रहे हैं। कहते फिरते हैं काम नहीं करने दिया गया जी.... अजी आपको नौटंकी से फुरसत हो तब काम करेंगे न।
 

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...