जैसी हो तुम वैसे ही हम।
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम।
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम।
मौसम तो है सुहाना पर माशूक बेरहम..
सावन के महीने में कैसे रुठी हैं सनम..
बीत गया वक्त जो वापिस न आयेगा
बीत गया वक्त जो वापिस न आयेगा
बंद करो झगड़ा आओ प्यार करें हम....
रात की गहरायी में ये बारिशों की छम-छम..
सन्नाटे को चीरता बज रहा बूंदों का सरगम..
मैं बातों का देव वो हैं ख़ामोशी की देवी,
सन्नाटे को चीरता बज रहा बूंदों का सरगम..
मैं बातों का देव वो हैं ख़ामोशी की देवी,
बात बात पर आंखे होती उनकी नम...
दुनियां में आकर मेरे हर ली सारे गम...
मान जाओ जानें जां अब करो न सितम...
फिक्रों को मेरे तुमने गायब यूं किआ...
देखो छोड़ दी पीनी विश्की छोड़ दी मैंने रम।
ऐसा न हो रुठते मनाते ही बीते ये सावन
अब न सताउं कभी तेरे सर की है कसम...
साथ भी निभाओ कभी हाथ जो दिया,
मान जाओ जल्दी करो निकल न जाये दम...
बस भी करो मरने की न बात करो तुम..
मान गई अबकी बारी अब ध्यान रखो तुम..
जो भी कहूं जैसे कहूं हर बात मानोगे,
प्यार का हर महीना होता, सावन भादो पूस क्या अगहन...
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम...
जैसी हूं मैं वैसे ही तुम.......
जैसी हो तुम वैसे ही हम।
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम।
अब न सताउं कभी तेरे सर की है कसम...
साथ भी निभाओ कभी हाथ जो दिया,
मान जाओ जल्दी करो निकल न जाये दम...
बस भी करो मरने की न बात करो तुम..
मान गई अबकी बारी अब ध्यान रखो तुम..
जो भी कहूं जैसे कहूं हर बात मानोगे,
प्यार का हर महीना होता, सावन भादो पूस क्या अगहन...
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम...
जैसी हूं मैं वैसे ही तुम.......
जैसी हो तुम वैसे ही हम।
न मैं तुमसे कम न तुम मुझसे कम।
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