आज बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घुसपैठियों को देश से निकाले जाने की प्रक्रिया में बाधक बन रही है। गृह युद्ध की चेतावनी दी जा रही है। एक दूसरे प्रदेश की मुख्यमंत्री पहले से ही आतंकवादी पैदा करने की बात कह चुकी हैं। 1947 में विभाजन के बाद मातृ भूमि के सच्चे लाल खून के आंसू रोए थे। सदियों से जो भूमि उनकी थी उस भूमि को कुछ आक्रमणकारियों के बस जाने की वजह से ही तो खंड़ित होना पड़ा था। खंडित हिस्सा अब बर्बर और विकृत हो चुका है। ऐसा लगता ही नहीं कि वो कभी हमारी मातृ भूमि का हिस्सा भी था। एक बार फिर से विभाजन की बात दबी आवाज में की जाने लगी है। गृह युद्ध की बात खुले आम की गई है। अब विभाजन की बात खुलकर होगी। क्योंकि हमने विभाजन तो कर दिया लेकिन विभाजन की गुंजाईश रहने दी थी। इतिहास साक्षी है हमने जब भी मानवता की बात की है हम कुचले गए हैं। जिन शरणार्थियों और घुसपैठियों को आश्रय देने की बात की जा रही है, कल वे ही भारत की भूमि पर दावा करेंगे। जिन मानवता वादी और सेकुलरवादी तर्कों की दुहाई देकर आप शरणार्थियों और घुसपैठियों को आश्रय देने की बात कर रहे हैं उसी मानवता वादियों और सेकुलरों की धरती धर्म व जाति के संघर्षों से लाल हो उठेगी। जिसकी झलक समय समय पर देखी भी जा चुकी है। अफसोस कि उस वक्त सेकुलरिज्म और मानवतावाद का पाठ पढ़ाने वाला मानवता वादी तत्व उन संघर्षो के लिए उनकी बंदूक से निकली गोलियों को नहीं रोक पायेगा। कल यही शरणार्थी और घुसपैठिये हमारे साथ संसद भवन में बैठेंगे और आपके निर्णयो को प्रभावित करेंगे। जो लोग आज धर्म और जाति के नाम पर अन्याय करने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें एक सत्य स्वीकार करना होगा, जहां भारतवर्ष के भविष्य का प्रश्न हो वहां भावनाओं के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हमारी परंपराएं अलग हमारा व्यवहार अलग.... कल इन्हीं भेदों के नाम पर भेदभाव होगा और संघर्ष होगा। कल यही शरणार्थी आपके देश का अविभाज्य अंग होंगे और यही आपके सामने बैठकर अपने तथाकथित अधिकारों की मांग करेंगे। तब आपका मानवता वादी धर्म और दिखावेपन का सेकुलरवाद उनपर हथियार उठाने में संकोच महसूस करेगा, और आप न चाहते हुए भी उन्हें वो अधिकार देंगे। क्या ममता बनर्जी इस राष्ट्र को आश्वासन दे सकती है कि कल शरणार्थियों और घुसपैठियों की वजह से भारतवर्ष खंडित नहीं होगा? क्या कोई इस बात का आश्वासन दे सकता है कि कल को कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थिती में देश को बांटने की या तोड़ने की बात नहीं करेगा? क्या कोई व्यक्ति देश को ये आश्वासन दे सकता है कि कल को हमारे देश से आक्रमणकारी, शरणार्थी और घुसपैठिये अपने देशों को लौट जायेंगे? क्या ममता बनर्जी ,रोहंग्यिाओं के समर्थक और असम के घुसपैठियों के समर्थक इस देश को ये आश्वासन दे सकते है कि शरणार्थियों और घुसपैठियों के स्थापन का खर्च यहां की प्रजा से लिए गए कर से नहीं किया जायेगा?
- राजन कुमार झा
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