पाकिस्तानी आर्मी और आतंकियों में पद और वेतन के अलावा कोई और फर्क नहीं है। इसलिए सीमा पार से चली पाकिस्तानी गोली किसकी बंदूक से निकली पाकिस्तानी आर्मी की बंदूक से या आतंकियों के बंदूक से इसका जवाब ढ़ूंढ़ने में अपना समय गंवाने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि दोनों एक ही जैसे हथियार( अमेरिकी) का इस्तेमाल करते आये हैं। ऐसा हम कारगिल की लड़ाई में भी देख चुके हैं। इस लिए इस पर ध्यान देने की अपेक्षा चिंता इस बात पर की जाये कि सीमा पार से गोली चली है। हमारे 4 जवान शहीद हुए हैं। 4 आतंकी भी मारे गए हैं। मतलब यह कि आपके 4 फौजी के बराबर उनके 4 आतंकियों की मौत हुई। लड़ाई बराबरी की। आप संघर्ष विराम उल्लंघन और आतंकी हमले को दो घटनायें मानते हैं हम एक ही मानते हैं क्योंकि उसका परिणाम एक ही होता है। शहादत। शहादत शब्द सुनकर भारतीय अब असहज महसूस नहीं करते क्योंकि यह रोज की बात है। अफसोस और श्रद्धांजली दे कर सब भूल जाते हैं। नेता और प्रधानमंत्री भी। यह एक बड़ी विडंबना है चुनावों से पहले जिन बातों का दावा करते रहे उनमें से एक पर भी नतीजा नहीं आया। अब सत्ताधारी कोशिश शब्द का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं। वो तो आप विपक्ष में रहते हुए भी करते थे। आपके पास 4 साल की पूरण बहुमत की सरकार थी, क्या किया? लोकसभा में एससी एसटी बिल पास कर के सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया। महीने भर के भीतर। जनधन अकाउंट खोल दिये लोगों के गरीबी दूर हो गई उससे? जीएसटी लाये आज तक उसमें संशोधन जारी है। गरीबों को गैस कनेक्शन दे रहे हैं लेकिन खाने को अनाज नहीं है दिल्ली जैसे शहर में बच्चियां भूखे मर रही हैं। योजनाओं के नाम बदलने से लोगों तक नहीं पहुंचेंगी.
राम जन्न भूमि विवाद, सीमा विवाद, जम्मू कश्मीर विवाद ये तीनों विवाद ऐसे थे जिसपर जुमलेबाजी कर आपने एक बड़ा वोट बैंक अपनी तरफ मोड़ा था और इन्हीं मुद्दों पर आज आपके प्रवक्ता सीधे सीधे जवाब नहीं दे पा रहे हैं। जवाब देने को हो तो जवाब देंगे न। कांग्रेस के 60 साल 70 साल को गाली देना बंद कीजिए अब आप 4 साल से हैं इसका हिसाब दीजिए अन्यथा चुनाव में मत आईये।
दो रोज पहले ही खुफिया रिपोर्ट में खुलाशा हो चुका था कि 600 की संख्या में आतंकवादी लॉंचिंग पैड पर मौजूद हैं, आपने तुरत कार्वाई के निर्देश क्यों नहीं दिये क्यों सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की? यही तो मौका था, समय रहते कार्वाई की होती तो शायद 4 जवान आज वीरगति को प्राप्त नहीं होते। बल्कि दहशतगर्द जहन्नूम में होते। इन्पुट्स के बाद भी अगर आपके एक भी जवान को खरोच आती है तो ये आपके लिए डूब मरने की बात है। जब हम सुरक्षित ही नहीं है तो विकास लेकर क्या करेंगे?
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