सोमवार, 27 अगस्त 2018

तीन मूर्ति भवन विरासत या धरोहर?

तीन मूर्ति भवन
तस्वीर सितंबर 2015 की है जब तीन मूर्ति भवन पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए हमने लगातार तीन दिन तक यहां शूटिंग की थी। तभी खोज करते हुए कुछ तथ्य हाथ लगे थे उनमें से आवश्यक बातें आपके साथ साझा करुंगा क्योंकि इन दिनों तीन मूर्ति भवन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने  प्रधानमंत्री मोदी को खत लिखा है। इसमें उन्होंने तीन मूर्ति भवन के साथ छेड़-छाड़ न करने का आग्रह किया है। मनमोहन सिंह ने लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सिर्फ कांग्रेस के नेता ही नहीं बल्कि पूरे देश के नेता थे। पूर्व प्रधानमंत्री ने मौजूदा प्रधानमंत्री को कहा कि आपकी सरकार एजेंडे के साथ नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी की सरंचना में बदलाव करने में लगी है, इसलिए आपसे उम्मीद की जाती है कि आप ऐसा ना करें। सिंह का पत्र उस समय आया है जब भारत सरकार ने तीन मूर्ति परिसर में सभी प्रधानमंत्रियों के नाम के म्यूजियम बनाने की योजना बनाई है। इसी कारण कांग्रेस सरकार पर आरोप लगा रही है कि यह नेहरू की विरासत को मिटाने का प्रयास है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तीन मूर्ति भवन नेहरु खानदान की कोई विरासत नहीं है। दरअसल पहले यह  मूल भवन भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ़ का आवास हुआ करता था, जिसे फ़्लैग-स्टाफ़ हाउस कहते थे। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु ने इसे अपना आवास बना लिया और यह प्रधानमंत्री आवास बना। 1964 में पंडित जी की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री को यहां रहना था लेकिन इसके पहले की वो यहां रहते  इसे नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और लाइब्रेरी में बदल दिया गया।
सरकार का तर्क है कि 10 हजार स्क्वॉयर फीट में बनने वाले संग्रहालय में पूर्व प्रधानमंत्रियों के लोकतंत्र में योगदान और उनके राजनीतिक सफर को वर्चुअल तकनीक की मदद से प्रस्तुत किया जाएगा। अर्थात नेहरु के साथ साथ अन्य प्रधानमंत्रियों के योगदान को भी दर्शाया जायेगा इनमें गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे चाहे उनका कार्यकाल छोटा ही क्यों न रहा हो। परंतु कांग्रेस को शायद अपने अलावा कुछ सूझता नहीं है तभी तो वो सरकार के इस फैसले को पचा नहीं पा रहे हैं। साथ देना तो दूर वे इसका विरोध कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि यहां जवाहरलाल नेहरु के अलावे किसी अन्य व्यक्ति का महिमामंडन न किया जाये। शायद वे इसे इलाहाबाद का आनंदभवन समझ रहे हैं। आपको बता दें कि आनंद भवन, इलाहाबाद में स्थित नेहरू-गाँधी परिवार का पूर्व आवास है जो अब एक संग्रहालय के रूप में है। इसका निर्माण मोतीलाल नेहरु ने करवाया था।
मेरी समझ से कांग्रेस के नेताओं को जिन्होंने मनमोहन सिंह से पत्र लिखवाया है को आनंदभवन और तीन मूर्ति भवन के बीच के  अंतर को समझना होगा। उन्हें तय करना होगा कि तीन मूर्ति भवन नेहरु की विरासत बन कर रहे या देश का धरोहर?

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...