मंगलवार, 28 अगस्त 2018

नायक से खलनायक बने संतोष झा का अंत


उत्तर बिहार के सबसे बड़े अपराधी संतोष झा के अपराध की दुनिया में आने की कहानी पूरी तरह फ़िल्मी है। शिवहर जिले के पुरनहिया थाना अंतर्गत दोसितयां गांव निवासी संतोष झा के पिता चंद्रशेखर झा कभी गांव के हीं दबंग जमींदार  नवल किशोर राय के ड्राइवर थे। जिनके घर वह नौकरी कर रहे था उनसे ही किसी बात को लेकर अनबन हो गई और दबंग जमींदार ने चंद्रशेखर झा की जमकर पिटार्इ की थी। पिता पर  हुए जुल्म ने संतोष के भीतर बदले की आग सुलगा दी और वह नक्सलियों के साथ हो लिया। साल 2003 में उसके ग्रुप ने पहली बार जमींदार नवल किशोर राय के घर पर हमला कर दिया था। फिर उसने 15 जनवरी 2010 को अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सीतामढ़ी के राजोपटटी में जमींदार से जिला पार्षद बने नवल किशोर राय को उसके घर के बाहर गोलियों से भून दिया था। उसने 90 के दशक में माओवाद का झंडा थामा। नक्सली एरिया कमांडर गौरी शंकर झा के नेतृत्व में उसने इलाके में माओवाद का प्रसार किया। इस दौरान सीतामढ़ी-शिवहर में कई हत्या व बैंक लूट की वारदात को अंजाम दिया। वर्ष 2010 में संतोष झा ने बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नामक संगठन बनाया। जिससे गौरी शंकर झा नाराज थे। आपको ये भी जानना चाहिए कि गौरीशंकर झा  संतोष झा के रिश्ते में चाचा था। उस अनबन की वजह से संतोष झा ने घर में घुसकर गौरी शंकर झा व उनकी पत्नी  देवता देवी को गोली मार दी थी। इसमें गौरी शंकर झा की मौत हो गई थी। बस यहीं से संतोष झा की उल्टी गिनती शुरु हो गई।
संतोष झा पर सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, दरभंगा व सिवान में हत्या, लूट व रंगदारी के दर्जनों मामले दर्ज हैं। इसी साल 8 मार्च को दरभंगा जिले के बहेड़ी में इंजीनियर्स मर्डर केस में उसे आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी थी।  संतोष झा जेल में बंद था लेकिन वह जेल के अंदर से ही अपना गैंग चलाता था। दरभंगा में हुए दो इंजीनियरों की हत्या में इसी के गैंग का हाथ था और इस मामले में कई लोगों को सजा सुनाई गई थी।
2004 में पहली बार संतोष झा को हथियारों के साथ पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। करीब तीन साल जेल में रहने के बाद जब वह रिहा हुआ तब उसके बाद उसने कई हत्याकांड को अंजाम दिया। करीब छह महीने तक बिहार पुलिस की स्पेशल टीम की कोशिश के बाद फरवरी 2014 में कोलकाता के एक फ्लैट से पकड़ा गया था।
कई मामलों पर आज संतोष झा की पेशी हुई।संतोष झा सीजेएम कोर्ट में पेशी के बाद कोर्ट परिसर में ही बातचीत कर रहा था। इस दौरान कोर्ट के परिसर की दीवार फांद कर तीन बदमाश पहुंचे। इनमें एक बदमाश ने संतोष के सिर, पेट व सीने में गोलियां दाग दी। वहां तैनात जवानों ने बदमाशों को पकडऩे की कोशिश की। लेकिन, वे ताबड़तोड़ गोलियां चलाते हुए फरार होने लगे। दो बदमाश दीवार फांद कर भाग निकले। वहीं, विकास झा नामक एक बदमाश पिस्टल, मैगजीन व कारतूस के साथ पकड़ा गया। उसने पुलिस के समक्ष स्वीकारा कि संतोष झा ने उसके पिता की हत्या की थी। इसलिए उसकी हत्या कर दी। चर्चा है कि वह पूर्व नक्सली नेता गौरी शंकर झा का पुत्र है। जिसने अपने पिता की मौत का बदला लिया है।

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...