मंगलवार, 11 सितंबर 2018

सजा ए मौत, ऑन द स्पॉट


आधे से अधिक बिहारी रोजी रोटी और अच्छी जिंदगी की तलाश में बिहार के बाहर रह रहे हैं। जो बिहार में बच गए हैं वो मौत की अदालत चला रहे हैं और फैसला हाथों हाथ किया जा रहा है। फैसले के साथ ही सज़ा भी दी जा रही है बिना देरी किये।  गुनाह चाहे जो भी हो सजा में कोई भेद-भाव नहीं है हर गुनाह के लिए एक ही सजा है वो है सजा ए मौत। बिहार के अलग अळग जिलों में पिछले 5 दिनों में 6 लोगों को भीड़ ने सजा ए मौत दी है। इनमें से कुछ अपराधी थे और कुछ को बिहार में जन्म लेने की सजा दी गई। उन्हें उस गलती के लिए जान से मार दिया गया जो उन्होंने किया ही नहीं।  
बेगूसराय में तीन लोग स्कूल में घुसकर एक छात्रा के अपहरण की कोशिश कर रहे थे। इस बीच अपहरण के कोशिश की खबर बाहर फैल गई। फिर क्या था  भीड़ ने ऑन स्पॉट फैसला सुनाते हुए तीनों अपराधियों को पीट पीट कर मार डाला। 
सासाराम जिले में  रेलवे बुकिंग क्लर्क से कुछ लुटेरे 25 लाख रुपये लूटने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने फायरिंग की जिससे एक महिला घायल हो गई। गोली चलने की आवाज सुन लोग बाहर निकल आए और उन्‍होंने लुटेरों को छीना-झपटी करते देखा। भीड़ को देख कुछ लुटेरे भागने में सफल रहे लेकिन उनमें से एक लुटेरा भीड़ के हत्थे चढ़ गया और भीड़ ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। आप में से कुछ लोग उपरोक्त दोनों खबरों को पढ़कर मन ही मन सोच रहे होंगे कि इसमें गलत क्या है? अपराधियों को ही तो मारा जा रहा है। लेकिन उसमें गलत क्या है वो आपको निम्न लिखित घटनाओं से ज्ञात होगा...
 रोहतास जिले में भीड़ ने एक महिला की इसलिए पीट-पीटकर हत्या कर दी क्योंकि उन्हें शक था कि वो डायन है। भीड़ महिला को दौड़ा-दौड़ाकर पीटती रही कुछ लोग बेशर्मी से पीटाई का वीडियो बनाते रहे। महिला को बचाने की कोशिश किसी ने भी नहीं की।  महिला को बस्ती के कुछ लोग लाठी-डंडे से सरेआम पीटते रहे। बच्चों के विवाद में हुई इस घटना ने बिहारी समाज के ऐसे संवेदनहीनता को उजागर किया जिसकी आज के समय में कल्पना नहीं की जा सकती। मृतका माला देवी अपने जान की भीख मांगती रही लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी। पीड़िता चीखती रही, खुद को बचाने की कोशिश भी करती रही लेकिन भीड़ ने बेरहमी से पीटकर उसे मार डाला। लोग वीडियो बनाते रहे महिला के तड़प तड़प कर मरने तक।
दूसरी घटना सीतीमढ़ी जिले की है जहां चोरी की अफवाह ने एक युवक की जान ले ली।  युवक अपनी दादी की बरसी के लिए सामान लेने सीतामढ़ी जा रहा था कि एक पिकअप चालक ने चोर-चोर का शोर मचाया और लोगों ने बिना कुछ सोचे समझे युवक को पकड़ लिया और बीच सड़क पर उसे पीटना शुरू कर दिया। उसपर लाठी डंडे बरसाए जा रहे थे और वो चीखता रहा, लोगों से पूछता रहा कि मुझे क्यों मार रहे हो?  बाद में अधमरे युवक को अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। क्या वो पीकअप वाला कभी चैन से सो पायेगा या वो लोग जो लोगों कानून हाथ में लेकर जान से मार रहे हैं खुद को आईने में देखखर क्या सोचते होेंगे? कुछ सोचते भी होंगे क्या?
हॉलीवुड की फिल्मों में आपने अक्सर कैनिबल्स(नरभक्षी) को देखा होगा। वो भी भीड़ के साथ आम इंसानों पर हमला कर देते हैं अपनी भूख मीटाने के लिए उन्हें भूख के सिवा कुछ नहीं सूझता दिमागी रुप से विकृत ये लोग इंसान को तब तक नहीं छोड़ते जब तक मांस उसकी हड्डियों से अलग न हो जाये। बिहार में भीड़ एक कैनिबल की तरह ही दरिंदगी कर रही है। इनके पास कोई काम नहीं है सिवाय उपद्रव मचाने और  वर्चस्व दिखाने के। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस भीड़ में किशोर और बच्चे भी शामिल होते हैं। जिन्हें न तो  कानून का डर है न हृदय में किसी को लेकर दया।   इन मामलों में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। पुलिस जबतक मौके पर पहुंचती है तब तक उग्र भीड़ अपना काम कर चुकी होती है।

1 टिप्पणी:

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...