शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

प्रशंसा के स्थान पर प्रश्न क्यों?



उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुए मुठभेड़ के बाद अचानक ही पूरे प्रदेश में हर्ष की लहर दौड़ गई हर तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस की खुलकर तारीफ होने लगी। इस तारीफ की नीव में अलीगढ़ पुलिस का शौर्य था जिसके चलते साधुओं के दुर्दांत हत्यारे अपने अंजाम तक पहुंच गए. विदित हो की पिछले कुछ समय से एक के बाद एक साधुओं की हत्याओं से उत्तर प्रदेश दहल गया था। औरैया के बाद अलीगढ में भी उसी प्रकार से हत्या की गयी तो पहले उसका मुखिया गिरफ्तार हुआ जिसका नाम साबिर अली था , उसके बाद उस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया गया जिसने ये खौफ का खेल रचा था। इस मुठभेड़ में मारे गये अपराधियों के नाम नौशाद और मुस्तकीम है। पुलिस ने बताया की दोनों बदमाश  25-25 हजार रुपये के ईनामी थे और दोनों पिछले महीने हुए  दो साधुओं सहित कुल छह हत्याओं में शामिल थे। उपचार के लिए लाते समय बदमाशों ने बताया कि बुधवार रात्रि उन्होंने एक व्यक्ति से बाइक लूटी थी और दोनों के खिलाफ विभिन्न थाना क्षेत्रों में कई केस दर्ज हैं।

इन सब के बीच आश्चर्य इस बात का है कि उत्तर प्रदेश पुलिस पर बढ़ते अपराध को लेकर सवाल उठाने वाले लोग ही अपराधियों के एनकाउंटर पर भी सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोगों का काम ही सवाल उठाना होता है, अच्छा हो तो भी बुरा हो तो भी । सावन के अंधे को जिस प्रकार सिर्फ हरा ही हरा नजर आता है उसी प्रकार इस तरह के लोगों को घटना विशेष में अच्छाई नहीं दिखती, बुरा ही बुरा दिखता है। बुराई के आदी हो चुके ये लोग अपराधियों के एनकाउंटर से लेकर निर्दोष की हत्या तक को एक ही चश्मे से देखते हैं। 


कुछ लोग इस एनकाउंटर को फर्जी बता रहे हैं, तो कुछ इसे यूपी पुलिस का खेल. कहा जा रहा है कि यूपी पुलिस ने पहले मीडिया को खबर दी फिर अपराधियों के एनकाउंटर का वीडियो बनाया. अब वो ऐसा न करें तो क्या करें? हर एनकाउंटर के बाद पुलिस को शक की निगाह से देखा जाता है। एनकाउंटर को फर्जी बताने की एक होड़ सी लग जाती है। ऐसे में पुलिस मजबूर हो कर ही ऐसे कदम उठाती है। उत्तरप्रदेश पुलिस अपराधियों को प्रत्यर्पण के लिए कहती है जवाब में अपराधी गोली चलाते हैं मजबूरन पुलिस को भी गोली चलानी पड़ती है लेकिन इस सच्चाई को पुलिस की झूठी कहानी बताकर एनकाउंटर को फेक करार दिया जाने लगता है। इन आरोपों से बचने के लिए पुलिस को एनकाउंटर से पहले मीडिया से संपर्क करना पड़ा। दूसरी तरफ अपराधियों का अंजाम क्या होता है इसे भी दिखाये जाने की आवश्यकता है। अपराधियों का एनकाउंटर हुआ है जिन्होंने कई लोगों की जिंदगियां छिन ली थीं। इसलिए रोना धोना बंद कीजिए उत्सव मनाइये।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...